Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

आठ करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही चिल्ली झील

अधिकारियों और सियासतदानों के लिए कुबेर का खजाना बनी
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
फतेहाबाद की चिल्ली झील जो गंदे तालाब में तब्दील हुई। -हप्र
Advertisement

कभी बाहरी आक्रमणकारियों से रक्षा करने वाली चिल्ली झील अंदरूनी ताकतों से पस्त होती दिखाई दे रही है। चिल्ली झील के डेवेलपमेंट के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, मगर हालत पहले से भी बदतर हो गए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चिल्ली झील को विकसित करने के लिए अब तक 8 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। यह बात न तो शहरवासियों के गले उतर रही है और न ही सरकार के नुमाइंदे इससे कोई इतेफाक रख रहे हैं। अधिकारियों और फतेहाबाद के सियासतदानों के लिए कुबेर का खजाना बनी चिल्ली झील अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कभी सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैली ये झील अब मात्र कुछ रकबे में सिमट गई है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद चिल्ली झील पर्यटन स्थल के रूप विकसित करने की घोषणा हुई जिसके बाद शहरवासियों में आस जगी कि अब चिल्ली झील के अच्छे दिन आएंगे, लेकिन झील के अच्छे दिन तो नहीं आए, मगर उन सियासतदानों और नौकरशाहों के अच्छे दिन जरूर आ गए जो झील को विकसित करने के मुद्दे को जीवित रखना चाहते हैं। चिल्ली झील सैकड़ों वर्षों तक बरसाती नदी में आए बाढ़ के पानी को अपने में समेटकर शहरवासियों की रक्षा करती थी। इसके अलावा इसके दो और कपड़े धोने के लिए घाट, एक तरफ धोबी घाट तो पूरे शहर के दुधारू पशुओं की प्यास भी बुझाती थी।

करीब 2 दशक पहले भूमाफिया की नजर चिल्ली झील की सैकड़ों एकड़ जमीन पर पड़ी। भूमाफिया ने धीरे धीरे इस पर कब्जा करके कॉलोनी काटकर बेचनी शुरू कर दी। कुछ प्रभावशाली व राजनैतिक लोगों ने कब्जे कर लिए। यहां तक कि अब इस डूब क्षेत्र की जमीन पर एक कॉलोनाइजर द्वारा सेक्टर काटा गया है, जिससे पानी का प्राकृतिक बहाव भी रुक गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि 2023 की आई बाढ़ में प्रशासन को शहर को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वर्ष 2010 में चिल्ली को सूखना लेक की तर्ज पर विकसित करने के लिए नक्शे आदि बनाए गए। 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा व 2014 में मनोहर लाल खट्टर ने इसे सुंदर लेक बनाने की घोषणा की। दो बार में 10 करोड़ का फंड भी आ गया, लेकिन अधिकारियों ने सबसे पहले पानी के प्राकृतिक बहाव के खिलाफ कार्य करते हुए चिल्ली झील में भरे बरसाती पानी को रंगोई नाले में डालने के लिए पाइपलाइन बिछा डाली। जिस पर साढ़े 6 करोड़ खर्च हो गए। इसके बाद जनस्वास्थ्य विभाग ने चिल्ली झील में मिट्टी निकालने के नाम पर डेढ़ करोड़ का बजट खर्च दिखा दिया। अब झील मात्र 27 कैनाल में गंदे तालाब में तब्दील हो गई।

Advertisement

डिप्टी स्पीकर ने किया दौरा, बोले- सीएम को बताएंगे

शुक्रवार को जिले में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए आई। कमेटी के चेयरमैन विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिढ़ा जब चिल्ली झील पर पहुंचे तो वहां फैली बदबू व गंदगी देखकर बोले इसकी हालत देखकर नहीं लगता कि इस पर कोई पैसा खर्च नहीं हुआ। इसकी जांच करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह मामला लाएंगे। हालांकि पूर्व विधायक दूड़ाराम व डीएमसी ने उनकी बात को घुमाने का प्रयास करते हुए कहा कि कुछ जमीन निजी व्यक्ति की मलकियत है, इसलिए ये प्रोजेक्ट रुका हुआ है, लेकिन प्रश्न है कि 8 करोड़ कहां खर्च हुए, जबकि प्रदेश में भाजपा सरकार ने 10 करोड़ के अलावा 5 करोड़ अलग से फंड देकर रतिया चुंगी से चिल्ली झील तक मार्ग में आने वाली जमीन को खरीदने के लिए कहा था।

Advertisement
×