TRF को प्रतिबंधित आतंकवादी सूची में शामिल कराने के प्रयास तेज, UN अधिकारियों से मिला भारतीय प्रतिनिधिमंडल
संयुक्त राष्ट्र, 15 मई (भाषा)
Terrorist Organization List: भारत ने पहलगाम हमले में संलिप्तता के लिए लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट' को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल कराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस बीच भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) और आतंकवाद निरोधक समिति के कार्यकारी निदेशालय के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल केा हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली थी जिसमें 26 लोग मारे गए थे। TRF संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है। सूत्रों ने पीटीआई को बताया, ‘‘ भारतीय तकनीकी टीम न्यूयॉर्क में है और उसने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में ‘1267 प्रतिबंध समिति' की निगरानी टीम और अन्य साझेदार देशों के साथ बातचीत की। टीम ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) और आतंकवाद निरोधक समिति कार्यकारी निदेशालय (CTED) के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की।''
बुधवार को भारतीय दल के साथ हुई बैठक के बारे में ‘UNOCT' और ‘CTED' की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोन्कोव और आतंकवाद निरोधक समिति कार्यकारी निदेशालय की सहायक महासचिव नतालिया गेरमन ने “भारत सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की।''
यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा एक प्रेस वक्तव्य जारी करने के बाद आया है, जिसमें सदस्य देशों ने पहलगाम हमले की ‘‘कड़े शब्दों में'' निंदा की थी लेकिन हमले के लिए जिम्मेदार समूह के रूप में TRF का उल्लेख नहीं किया था।
वोरोन्कोव और गेरमन ने 22 अप्रैल के इस हमले पर संवेदना व्यक्त की। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘ भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा में CTED और UNOCT के साथ उनके संबंधित अधिदेशों के अंतर्गत जारी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद के आतंकवाद-रोधी प्रस्तावों और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के कार्यान्वयन के पक्ष में।''
इस दौरान भारत की अध्यक्षता में आतंकवाद-रोधी समिति द्वारा अंगीकार किए गए ‘2022 दिल्ली घोषणापत्र' के अनुरूप आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल आदि पर भी चर्चा की गई। पाकिस्तान वर्तमान में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और जुलाई में 15 देशों वाली इस शक्तिशाली संस्था की अध्यक्षता करेगा।
पाकिस्तान के कई आतंकवादी संगठन और व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति' के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और पूर्व में पाकिस्तान के आतंकवादियों को काली सूची में डालने संबंधी भारत अथवा उसके मित्र देश अमेरिका के प्रयासों में वीटो के तौर पर अड़ंगा डाल चुका है। समिति में सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य शामिल होते हैं और यह सर्वसम्मति से अपना निर्णय लेती है।
समिति को अन्य बातों के अलावा, प्रतिबंध उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और संबंधित प्रस्तावों में निर्धारित सूचीबद्ध मानदंडों को पूरा करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को नामित करने का अधिकार है। पहलगाम हमले के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को ‘जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले' पर एक प्रेस वक्तव्य जारी किया था जिसमें सदस्यों ने आतंकवादी हमले की ‘‘कड़े शब्दों में निंदा'' की थी।
हालांकि प्रेस वक्तव्य में हमले के लिए जिम्मेदार समूह के रूप में TRF का उल्लेख नहीं किया गया क्योंकि पाकिस्तान ने नाम हटवा दिया था। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर पर एक ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है।
यह समूह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। मिसरी ने कहा था “यह उल्लेखनीय है कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट में TRF के बारे में जानकारी दी थी और पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के लिए एक आड़ के रूप में इसकी भूमिका को सामने लाया गया था।'' मिसरी ने कहा था, ‘‘ इससे पहले भी दिसंबर 2023 में भारत ने निगरानी टीम को TRF जैसे छोटे आतंकी समूहों के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के काम करने के बारे में जानकारी दी थी।''