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धराली आपदा बादल फटा या ग्लेश्ियर टूटा‍ ! इसरो से मांगे गये चित्र

विशेषज्ञों का कहना है कि धराली में तबाही के दौरान बारिश की मात्रा इतनी नहीं थी कि उसे ‘बादल फटने’ की श्रेणी में रखा जा सके। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना...
उत्तराखंड के धराली में भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद बचाव कार्य में जुटे सैन्यकर्मी। -प्रेट्र
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विशेषज्ञों का कहना है कि धराली में तबाही के दौरान बारिश की मात्रा इतनी नहीं थी कि उसे ‘बादल फटने’ की श्रेणी में रखा जा सके। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मौसम विभाग के पास उपलब्ध आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि बादल फटने की कोई घटना नहीं हुई।’ आईएमडी के मुताबिक, बादल फटने की घटना से आशय 20 से 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेज हवाओं और आकाशीय बिजली चमकने के बीच 100 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक की दर से बारिश होने से है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने कहा, ‘सबसे अधिक संभावना इस बात की है कि बर्फ का कोई विशाल टुकड़ा या बड़ी चट्टान गिरी होगी या फिर भीषण भूस्खलन हुआ होगा, जिससे हिमोढ़ (हिमनद द्वारा बहाकर लाए गए मलबे का जमाव) इकट्ठा हो गया और क्षेत्र में अचानक बाढ़ आ गई।’ अधिकारियों के अनुसार, उत्तरकाशी आपदा के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से उपग्रह चित्र मांगे गए हैं।

मलबे से एक शव बरामद, 150 लोग सुरक्षित निकाले, कई लापता

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उत्तरकाशी : उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के आपदाग्रस्त धराली गांव में मलबे से बचाव दलों ने बुधवार को एक शव बरामद कर लिया जबकि भारी बारिश के बीच जारी राहत एवं तलाश अभियान में 150 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया और इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन पर उनसे बातचीत कर स्थिति की जानकारी ली। शव की पहचान धराली के रहने वाले 32 वर्षीय आकाश पंवार के रूप में हुई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बाढ़ में 50 से अधिक लोग लापता हो सकते हैं। लापता लोगों में निकटवर्ती हर्षिल में प्रभावित हुए सेना के एक शिविर के 11 सैनिक भी शामिल हैं। इसी आपदा में केरल निवासी 28 पर्यटकों का समूह लापता हो गया है। इसके अलावा यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर कल्प केदार मलबे में दब गया। बताया जाता है कि पिछली बार आई किसी आपदा के कारण यह मंदिर कई वर्षों तक जमीन के नीचे दबा रहा था तथा केवल इसका ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता था।

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