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कांग्रेस ने सदन थामा, छह बार कार्यवाही स्थगित

हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र कानून व्यवस्था पर गतिरोध
हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बातचीत करते ऊर्जा मंत्री अनिल विज। -दैनिक ट्रिब्यून
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हरियाणा विधानसभा के पिछले 11 वर्षों के रिकार्ड में शुक्रवार को पहला मौका था, जब कांग्रेस सदन में इतने आक्रामक अंदाज में नजर आई। प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर दिनभर गतिरोध बना रहा और कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही को थाम दिया। इस दौरान, छह बार विधानसभा स्थगित हुई, जबकि सर्वदलीय बैठक भी बुलानी पड़ी। आखिर में सरकार ने कांग्रेस के ‘काम रोको प्रस्ताव’ को मंजूर किया। अब इस पर चर्चा मंगलवार यानी 26 अगस्त को होगी।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तथा स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने कई बार माहौल को शांत करने की कोशिश की। स्पीकर को गुस्सा भी आया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्लियामेंट में जिस तरह से माहौल बनाया जा रहा है, वही स्थिति विधानसभा में पैदा नहीं होने दी जाएगी। लेकिन उनके ये प्रयास बेअसर दिखे। बरसों के बाद ऐसा हुआ, जब सदन में न प्रश्नकाल हुआ, न शून्यकाल और न ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा हो पाई। सर्वदलीय बैठक के बाद सरकार की ओर से दो विधेयक और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की मीटिंग की रिपोर्ट सदन में टेबल हुई।

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पूर्व शिक्षा मंत्री व झज्जर से विधायक गीता भुक्कल विधानसभा में नये तेवर में नजर आईं। कांग्रेस का नेतृत्व करती दिखीं भुक्कल ने ही काम रोको प्रस्ताव सदन में पेश किया। कांग्रेस के युवा विधायक जस्सी पेटवाड़, बलराम दांगी व विकास सहराण भी जोश में नजर आए।

दोपहर दो बजे शोक प्रस्ताव के साथ मॉनसेन सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शुरू हुई। इसके बाद, स्पीकर ने प्रश्नकाल की शुरुआत करवाई।

पहला सवाल दादरी से भाजपा विधायक सुनील सतपाल सांगवान का था और पीडब्ल्यूडी मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने जवाब देना शुरू कर दिया था। इस दौरान गीता भुक्कल ने कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए ‘काम रोको प्रस्ताव’ को मंजूर कर उस पर चर्चा करवाने की मांग कर डाली।

स्पीकर ने आपत्ति जताई तो भुक्कल ने नियमों का हवाला दिया। दोनों पक्षों में तीखी बहस हुई। स्पीकर ने कहा कि पहले प्रश्नकाल होगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि काम रोको प्रस्ताव अभी विचाराधीन है। लेकिन कांग्रेसी पहले उस पर चर्चा करवाने की मांग पर अड़ गए। कांग्रेसी स्पीकर बैल तक गए। नारेबाजी शुरू हो गई। सीएम नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के समय के क्राइम के आंकड़े भी दिए। ‘अपना घर कांड’ का भी जिक्र किया। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भड़के भी। आखिर में सदन की कार्यवाही पहली बार तीस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

स्पीकर ने दूसरी बार प्रश्नकाल के साथ ही सदन की कार्यवाही शुरू करवाने की कोशिश की, लेकिन इस बार कांग्रेसी पहले से भी अधिक जोश में दिखे। फिर वही, नारेबाजी और स्पीकर बैल तक पहुंचने की कवायद। कांग्रेसियों ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, क्या हुआ?, क्या हुआ?’ के पोस्टर सदन में दिखाए। स्पीकर ने जब घटना को निंदनीय बताया तो हुड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी बात रखने का अधिकार है। हंगामे के बीच आधा घंटे के लिए फिर कार्यवाही रोकी गई। तीसरी बार में भी ऐसा ही हुआ तो स्पीकर ने फिर से 30 मिनट के लिए सदन को स्थगित कर दिया। यह अवधि पूरी होने के बाद डिप्टी स्पीकर कृष्ण लाल मिड्ढा ने एक के बाद एक करके तीन बार सदन की कार्यवाही को स्थगित किया।

सर्वदलीय बैठक में भी गरमा-गरमी

स्पीकर ने गतिरोध देखते हुए सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी, संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल, इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला और निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल मौजूद रहे। बैठक के दौरान भी विपक्ष ने तेवर नरम नहीं किए। लंबी चली बैठक में आखिर में सरकार काम रोको प्रस्ताव को मंजूर करते हुए उस पर चर्चा के लिए राजी हो गई। भुक्कल ने प्रस्ताव रखा। इसे मंजूर कर लिया गया।

पहले एफआईआर तक नहीं होती थी : नायब

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुई थीं। उन्होंने कहा कि उस समय एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी। हम पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं और जीरो एफआईआर का सिस्टम लागू किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर प्रश्नकाल में विस्तृत चर्चा हो सकती है, लेकिन विपक्ष हंगामा करके केवल राजनीतिक लाभ लेना चाहता है।

हुड्डा ने किया पलटवार

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री की बातों का जवाब देते हुए कहा, ‘हरियाणा में अपराध बेलगाम हो चुका है। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं और सरकार पूरी तरह असफल हो चुकी है। भिवानी की मनीषा हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। कांग्रेस चाहती थी कि इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत चर्चा हो, लेकिन सरकार टालमटोल करती रही। मजबूरन हमें सदन में हंगामा करना पड़ा।’

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