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सहकारी समितियां अब आरटीआई से नहीं बच सकेंगी

गुरुग्राम स्थित सरस्वती कुंज सोसायटी की याचिका खारिज
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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सहकारी समितियां अब सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम से बचने का सहारा नहीं ले सकतीं। अदालत ने गुरुग्राम की सरस्वती कुंज कोऑपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसायटी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हरियाणा राज्य सूचना आयोग के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी ने 3 सितंबर को यह आदेश सुनाया, जिसे मंगलवार को न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

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अदालत ने आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि निजी सहकारी समितियों से जुड़ी वह जानकारी, जिसे कोई सार्वजनिक प्राधिकरण विधि के तहत प्राप्त कर सकता है, आरटीआई अधिनियम के दायरे में आती है।

सोसायटी का तर्क – आरटीआई लागू नहीं होता

सोसायटी ने आयोग के 28 फरवरी और 3 मई, 2024 के आदेशों को रद्द करने की मांग की थी। उसका तर्क था कि हरियाणा सहकारी समितियां अधिनियम, 1984 के तहत पंजीकृत होने के कारण यह एक निजी सहकारी संस्था है और इस पर आरटीआई लागू नहीं होता। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के थलप्पलम सर्विस कोऑपरेटिव बैंक बनाम केरल राज्य (2013) फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सहकारी समितियां धारा 2(ह) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की श्रेणी में नहीं आतीं।

आरटीआई आवेदक की दलीलें साबित हुईं मजबूत

आरटीआई आवेदक के वकील प्रदीप कुमार रापड़िया ने तर्क दिया कि आवेदन सीधे सोसायटी में नहीं, बल्कि लोक सूचना अधिकारी, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, गुरुग्राम के पास दाखिल किया गया था, जो आरटीआई अधिनियम के तहत एक ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी कोई भी जानकारी जिसे सार्वजनिक प्राधिकरण किसी निजी संस्था से कानूनन प्राप्त कर सकता है, नागरिक को आरटीआई के तहत दी जानी जरूरी है।

हाईकोर्ट ने दी साफ हिदायत

हाईकोर्ट ने वकील की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के पास वैधानिक निगरानी और प्रशासनिक अधिकार मौजूद हैं, इसलिए उन पर यह दायित्व है कि वे ऐसी सूचनाएं उपलब्ध कराएं, बशर्ते वे आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत छूट प्राप्त न हों।

‘निराधार’ बताकर खारिज याचिका

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग के आदेशों में कोई अवैधता नहीं है। लिहाजा, सरस्वती कुंज सोसायटी की याचिका को ‘निराधार’ करार देते हुए खारिज कर दिया गया। इस फैसले के बाद स्पष्ट हो गया है कि नागरिक अब सहकारी समितियों से जुड़े मामलों में भी पारदर्शिता की मांग आरटीआई के जरिये कर सकेंगे, और समितियां इसे टाल नहीं पाएंगी।

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