Child Rights खिड़की से उल्टा लटकाया मासूम : पानीपत स्कूल की शर्मनाक घटना पर मानवाधिकार आयोग का सख़्त संज्ञान
होमवर्क न करने पर मिली अमानवीय सज़ा, आयोग ने अधिकारियों से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
Child Rights हरियाणा के पानीपत से आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने शिक्षा जगत और समाज को झकझोर दिया है। महज़ सात साल का बच्चा, कक्षा दूसरी का छात्र, स्कूल में सिर्फ इसलिए अमानवीय सज़ा का शिकार बना क्योंकि उसने अपना होमवर्क पूरा नहीं किया था। आरोप है कि सृजन पब्लिक स्कूल की प्राचार्या रीना ने विद्यालय बस चालक अजय के साथ मिलकर बच्चे को खिड़की से उल्टा लटकाया, थप्पड़ मारे और इस क्रूर कृत्य का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर फैलाया।
Panipat: Viral video on social media shows brutal teacher at Sarjan Public School beating young kids, hanging a 7-yr-old upside down from classroom window with tied feet.
Parents identified kids, filed police complaint. Principal's negligence exposed.
Parents, public demand… pic.twitter.com/RIfdoMfhOU
— MissMohini (@MohiniWealth) September 30, 2025
बच्चे की मां को भी घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से ही मिली। मामला सामने आते ही लोगों में गुस्सा फैल गया और हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने सख़्त संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की।
शिक्षा के मंदिर में अमानवीयता
विद्यालय, जिसे बच्चों के लिए सुरक्षित और पोषणकारी वातावरण प्रदान करना चाहिए, वहीं भय और अपमान का केंद्र बन गया। आरोप है कि प्राचार्या रीना पहले भी बच्चों को थप्पड़ मारती थीं, कान खींचती थीं और उन्हें टॉयलेट व कक्षाओं की सफाई जैसे अपमानजनक कार्य करवाती थीं।
पूछताछ में प्राचार्या ने माना कि उन्होंने चालक को बच्चे को अनुशासित करने के लिए बुलाया था, लेकिन क्रूरता का आदेश देने से इंकार किया। इसके बावजूद वायरल वीडियो और गवाहों के बयान बताते हैं कि स्कूल स्टाफ ने बच्चे को गंभीर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी।
धमकियों से सहमा परिवार
घटना के बाद चालक ने बच्चे को धमकाया कि यदि उसने किसी को बताया तो गंभीर अंजाम भुगतने होंगे। इतना ही नहीं, जब पीड़ित परिवार ने आरोपी से बात करने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने उन्हें भी डराया और मामले को दबाने की चेतावनी दी।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद भारतीय न्याय संहिता (भा.ज.सं.) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
कानून और अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा और सदस्यों कुलदीप जैन व दीप भाटिया ने कहा कि यह घटना न केवल भारतीय कानून, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का भी उल्लंघन है। आयोग ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (यूएनसीआरसी) की धाराओं का हवाला दिया।
- अनुच्छेद 19 : बच्चों को शारीरिक या मानसिक हिंसा से सुरक्षा
- अनुच्छेद 28(2) : गरिमा के अनुरूप अनुशासन
- अनुच्छेद 37(क) : क्रूर और अपमानजनक दंड से संरक्षण
- इसके साथ ही, यह घटना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार), किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 व 82 और आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 का प्रत्यक्ष उल्लंघन है।
- आयोग की टिप्पणी: शिक्षा का मतलब डर नहीं, मार्गदर्शन
आयोग ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सहानुभूति, सकारात्मक अनुशासन और रचनात्मक मार्गदर्शन देना है। शारीरिक दंड न केवल आधुनिक शिक्षा पद्धति के खिलाफ है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक विकास पर स्थायी चोट छोड़ता है। आयोग ने इस घटना को बाल अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों का गंभीर हनन बताया।
जांच और रिपोर्टिंग की समयसीमा तय
आयोग ने अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है कि जिला शिक्षा अधिकारी, पानीपत को विद्यालय की अनुशासन नीतियों की समीक्षा करने, आरटीई अधिनियम के अनुपालन की जांच करने, पीड़ित बच्चे और परिवार को मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराने तथा अवैध विद्यालयों पर निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है। पुलिस अधीक्षक, पानीपत को प्राथमिकी की स्थिति, आरोपी की गिरफ्तारी और शिकायतकर्ता परिवार को दी गई सुरक्षा संबंधी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। दोनों रिपोर्टें आयोग के समक्ष 13 नवम्बर तक अनिवार्य रूप से जमा करनी होंगी।