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Chandigarh AQI: 'जहरीली' हुई हवा, AQI @ 421, सांसद बोले- स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, स्कूलों में छुट्टी पर हो विचार

बढ़ते प्रदूषण के कारण पूरे शहर में धुंध की मोटी चादर छाई
सांकेतिक फाइल फोटो। ट्रिब्यून
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चंडीगढ़, 14 नवंबर (ट्रिन्यू)

Chandigarh AQI: चंडीगढ़ में गुरुवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी गिरावट देखी गई, जिससे प्रदूषण का स्तर "गंभीर" श्रेणी में पहुंच गया है। शहर में एक्यूआई 421 तक पहुंच गया है, जिससे शहर में गंभीर स्तर का वायु प्रदूषण दर्ज किया गया। यह विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा कर रहा है।

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बढ़ते प्रदूषण के कारण पूरे शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है, जिससे दृश्यता में भारी कमी आई है और लोगों के दैनिक जीवन पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है। चंडीगढ़ मौसम विभाग ने शुक्रवार तक क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता के लिए पीला अलर्ट जारी किया है।

इस खतरनाक स्तर के प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब कटारिया से तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने छोटे बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए कहा कि यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। तिवारी ने सुझाव दिया है कि जब तक वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, सभी स्कूलों को, खासकर छोटे बच्चों के लिए, अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार किया जाना चाहिए।

मनीष तिवारी ने कहा, "इस समय प्राथमिकता लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना होना चाहिए। बढ़ते प्रदूषण के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, और ऐसे में प्रशासन को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।"

यह केवल पराली जलाने के कारण नहीं...

मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, पहाड़ों में पश्चिमी विक्षोभ के चलते क्षेत्र में नमी बढ़ी है, जिससे वायु प्रवाह में कमी आई और घना कोहरा छा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्र की बिगड़ती वायु गुणवत्ता केवल पराली जलाने का परिणाम नहीं है।

मौसम विभाग के निदेशक सुरिंदर पॉल के अनुसार, वाहनों के धुएं और औद्योगिक उत्सर्जन जैसी शहरी प्रदूषण के अन्य स्रोत भी मुख्य कारक हैं। इंडो-गंगेटिक क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप भी समस्या को और गंभीर बना रहा है, जहां ठंड के मौसम में तापमान का उलटा प्रभाव प्रदूषकों को जमीन के नजदीक रोक देता है।

हवा की गति कम होने से प्रदूषक तत्व हवा में जमा

क्लाइमेट चेंज और एग्रीकल्चरल मेटरोलॉजी विभाग की प्रमुख, पवनीत कौर किंगरा ने बताया कि रात का तापमान सामान्य से अधिक हो रहा है, जो वायु गुणवत्ता में गिरावट का एक प्रमुख कारण है। इस समय रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास है जबकि नवंबर के दूसरे सप्ताह में सामान्य तापमान 11 से 12 डिग्री के बीच होता है। किंगरा के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में यह पहली बार हो रहा है कि इस प्रकार का तापमान दर्ज किया गया है। इस समय हवा की गति 2 किमी प्रति घंटे के आसपास बनी हुई है, जिससे प्रदूषक हवा में फंसे रहते हैं और विषैली हवा का गुबार शहर के ऊपर मंडरा रहा है।

सिंचाई से भी बढ़ रही समस्या

कृषि मौसम वैज्ञानिक केके गिल का कहना है कि गेहूं के खेतों की सिंचाई से भी कोहरे की समस्या बढ़ रही है। सुबह और शाम को कोहरा होता है जो दिन में स्मॉग में बदल जाता है। इन स्थिर परिस्थितियों में, धान की पराली का जलना प्रदूषण को और बढ़ा सकता है।

कहां कितनी जली पराली

पंजाब में बुधवार को 509 ताजे पराली जलाने के मामलों ने वातावरण में और विषैले तत्व घोल दिए। मंडी गोबिंदगढ़ (322) और अमृतसर (310) सबसे प्रदूषित शहरों में रहे। फरीदकोट और फिरोजपुर जिलों में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जहां क्रमश: 91 और 88 मामले सामने आए। अब तक पराली जलाने की कुल संख्या 7,621 तक पहुंच गई है।

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