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Battle for Japan’s Next PM जापान में सत्ता की जंग : क्या पहली महिला प्रधानमंत्री बनेगी या आधुनिक दौर का सबसे युवा नेता?

जापान में सत्ता परिवर्तन की घड़ी नजदीक है। सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को हुए मतदान में मुकाबला अब दो दावेदारों के बीच सिमट गया है-साने ताकाइची (64), जो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री...

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साने ताकाइची और शिंजिरो कोइजुमी, 23 सितंबर 2025 को टोक्यो स्थित एलडीपी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान। (फाइल फोटो)
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जापान में सत्ता परिवर्तन की घड़ी नजदीक है। सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को हुए मतदान में मुकाबला अब दो दावेदारों के बीच सिमट गया है-साने ताकाइची (64), जो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बन सकती हैं, और शिंजिरो कोइजुमी (44), जो आधुनिक दौर के सबसे युवा नेता के रूप में उभर सकते हैं।  जो भी विजेता बनेगा, वह शिगेरू इशिबा की जगह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की बागडोर संभालेगा।

पार्टी की साख दांव पर, जनता में असंतोष बढ़ा

पिछले एक साल में एलडीपी और उसके सहयोगियों ने संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो दिया है। लगातार बढ़ती कीमतों, ठहरावग्रस्त आय और विदेशियों पर कड़े कदमों की मांग ने जनता में नाराजगी पैदा कर दी है। इसी कारण विपक्षी दलों-डेमोक्रेटिक पार्टी फॉर द पीपल और सांसेतो पार्टी—ने खासकर युवाओं को अपने पक्ष में किया है। टोक्यो के शिंबाशी स्टेशन के बाहर ताकाइची समर्थक ओसामु योशिदा ने कहा, ‘एलडीपी भीतर से सड़ चुकी है, अब रीसेट का वक्त है।’

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ताकाइची:  एबेनॉमिक्स की वफादार और साहसी राष्ट्रवादी

साने ताकाइची, जो लंबे समय से शिंजो आबे की नीतियों की समर्थक रही हैं, एबेनॉमिक्स के जरिए खर्च और ढीली मौद्रिक नीति को बढ़ावा देना चाहती हैं। उन्होंने जापान के केंद्रीय बैंक की ब्याज दर वृद्धि की आलोचना की है और संकेत दिए हैं कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुए निवेश समझौते की समीक्षा कर सकती हैं, जिसके तहत जापान ने अमेरिकी शुल्क में रियायत के बदले भारी निवेश किया था।

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उनकी राष्ट्रवादी छवि उनके समर्थन और आलोचना दोनों की वजह है। वे यासुकुनी मंदिर की नियमित आगंतुक हैं, एक ऐसा स्थल जिसे कई एशियाई देश जापान की पुरानी सैन्य मानसिकता का प्रतीक मानते हैं। ताकाइची जापान के शांति-उन्मुख संविधान में संशोधन की पक्षधर हैं और ताइवान के साथ ‘अर्ध-सुरक्षा गठबंधन’ की भी वकालत कर चुकी हैं।

उनका कहना है, ‘अगर मैं प्रधानमंत्री बनी, तो दुनिया को बताने जाऊंगी कि जापान वापस आ चुका है।’

कोइजुमी : युवा जोश, लेकिन व्यावहारिक रुख

पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइजुमी के पुत्र शिंजिरो कोइजुमी जापान की राजनीति का युवा चेहरा हैं। वेतन बढ़ाने और महंगाई से जूझ रहे परिवारों को राहत देने का वादा करते हुए भी वे वित्तीय अनुशासन बनाए रखने पर जोर देते हैं।

संसदीय दल में कोइजुमी की पकड़ मजबूत मानी जा रही है, जबकि आम पार्टी सदस्य ताकाइची को ज्यादा पसंद करते हैं। अगर कोइजुमी जीतते हैं, तो वे 1885 में हीरोबुमी इतो के बाद जापान के इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री होंगे—महज कुछ महीनों के अंतर से।

फैसला 15 अक्तूबर को, निगाहें टिकीं

अब मुकाबले का फैसला 295 सांसदों और 47 प्रांतों के प्रतिनिधियों के मतों से होगा। संसद में औपचारिक मतदान 15 अक्तूबर को प्रस्तावित है। विजेता उम्मीदवार भारतीय समयानुसार दोपहर 2:30 बजे (0900 GMT) प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। यह परिणाम तय करेगा, क्या जापान का भविष्य महिला नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ाएगा या युवा सोच की ओर मोड़ेगा।

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