एवरेस्ट से ऊंचा एंग्मो का हौसला
शिमला, 26 मई'मैंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा कर लिया है, लेकिन मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है।' यह कहना है माउंट एवरेस्ट फतह करने वालीं छोंजिन एंग्मो का। वैसे, दूसरों के लिए भी यह यकीन करना मुश्किल है कि किन्नौर जिले के एक छोटे से गांव की सौ प्रतिशत दृष्टिबाधित लड़की माउंट एवरेस्ट पर चढ़ गई। सबसे बड़ी बात यह कि वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला हैं। एंग्मो ने कहा, 'यह मेरे लिए जीवन बदलने वाला अनुभव है।'
शरीर को तोड़ देने वाले ऐतिहासिक अभियान के बाद, एंग्मो ने अपनी चुनौतियों, संघर्षों और उपलब्धियों के बजाय इस बात पर अधिक ध्यान केंद्रित किया कि उनकी उपलब्धि दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को कैसे बदल सकती है। उन्होंने कहा, 'मैंने दिव्यांग समुदाय की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है और मुझे बेहद गर्व है कि मैं दुनिया को यह साबित कर सकी कि हम वह हासिल कर सकते हैं, जो दूसरे कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह उपलब्धि दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति समाज की धारणा और दृष्टिकोण को कुछ हद तक बदल देगी।'
एंग्मो ने कहा, आमतौर पर दिव्यांगों के बारे में धारणा यह है कि वे जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते। लोगों को उनकी क्षमताओं को देखना चाहिए, कमियाें को नहीं। सही समर्थन मिलने पर वे अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
एंग्मो के इस अभियान में उनके नियोक्ता यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उनकी सहायता की। उन्होंने कहा, 'माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना मेरा लंबे समय से सपना था। मैंने सहायता के लिए कई दरवाजे खटखटाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बैंक ने मुझ पर और मेरी क्षमताओं पर भरोसा दिखाया, मुझे अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद की। मैं बैंक का जितना भी शुक्रिया अदा करूं, कम है।'
ज्यादा बड़ी थी मानसिक चुनौती
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के बारे में एंग्मो ने कहा कि चुनौती शारीरिक से ज्यादा मानसिक थी। उन्हाेंने कहा, 'यह शारीरिक रूप से बहुत कठिन था, लगभग यातनापूर्ण। लेकिन मानसिक रूप से चुनौती और भी बड़ी थी। सभी कठिनाइयों के बावजूद, मैं बस आगे बढ़ती रही, भगवान को याद करती रही और खुद को याद दिलाती रही कि मैं हार नहीं मान सकती।' आखिरकार जब वह शीर्ष पर पहुंचीं, तो बस गिर पड़ीं। उन्होंने बताया, मेरी टीम मुझे फोटो के लिए उठने के लिए कहती रही। मेरे अंदर कोई ताकत नहीं बची थी, लेकिन मैं बेहद खुश और संतुष्ट थी।