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Alaska Summit : ट्रंप-पुतिन की बैठक से नहीं निकला कोई हल, युद्धविराम के लिए अभी भी जोरी कोशिशें

अलास्का सम्मेलन: ट्रंप-पुतिन बैठक में कोई समझौता नहीं हुआ, लेकिन युद्धविराम के लिए अब भी प्रयास जारी
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Russia-Ukraine ceasefire : अलास्का में रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात से कुछ घंटे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह यूक्रेन में युद्धविराम देखना चाहते हैं और यदि आज इस पर सहमति नहीं बनी तो वह ‘‘खुश नहीं होंगे''। ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अलास्का से बिना किसी समझौते के ही वापस लौट आए हैं। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम वहां तक नहीं पहुंचे'' और बाद में अस्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने और पुतिन ने ‘‘बहुत प्रगति की है''।

ट्रंप द्वारा आगामी सप्ताहों और महीनों में पुतिन के साथ बातचीत करने के सुझाव पर पुनः विचार किए जाने की संभावना है तथा रूसी नेता ने कहा है कि उनकी अगली बैठक मॉस्को में हो सकती है। शिखर सम्मेलन के बाद ‘फॉक्स न्यूज' के साथ एक साक्षात्कार में जब ट्रंप से पूछा गया कि यूक्रेन में युद्ध कैसे समाप्त हो सकता है और क्या भूमि की अदला-बदली होगी, तो ट्रंप ने कहा: ‘‘ये वे बिंदु हैं जिन पर हम काफी हद तक सहमत हैं''। यूक्रेन से क्षेत्रीय रियायतें हासिल करना लंबे समय से शांति समझौते पर किसी भी वार्ता के लिए मॉस्को की पूर्व शर्तों में से एक रहा है।

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पुतिन शायद यह दांव लगा रहे हैं कि यूक्रेन पर लगातार सैन्य दबाव बनाए रखते हुए इन रियायतों पर जोर देना उनके लिए फायदेमंद होगा। यूक्रेन में युद्ध को लेकर जनता में बेचैनी बढ़ रही है और पुतिन उम्मीद कर रहे होंगे कि थकी हुई जनता अंततः इस समझौते को स्वीकार्य और आकर्षक भी मानेगी। रूस ने रातोंरात यूक्रेनी शहरों पर नए हमले शुरू कर दिए, जिनमें 300 से अधिक ड्रोन और 30 मिसाइल शामिल थीं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, जिन्हें अलास्का शिखर सम्मेलन से बाहर रखा गया था, ने कहा है कि कीव क्षेत्रीय रियायतों पर सहमत नहीं होगा।

ऐसा कदम यूक्रेन के संविधान के तहत अवैध होगा, जिसमें देश की क्षेत्रीय सीमाओं में परिवर्तन को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह की आवश्यकता होती है। युद्धविराम के बदले जमीन समझौते के पीछे यह धारणा है कि इससे यूक्रेनी और यूरोपीय सुरक्षा बढ़ेगी। ट्रंप इसे व्यापक शांति समझौते के लिए पुतिन को बातचीत की मेज पर लाने और पुनर्निर्माण के अवसरों को खोलने की दिशा में पहला कदम मानते हैं। वास्तव में, इस तरह का समझौता दीर्घकालिक रूसी खतरे को कम करने में कोई खास मदद नहीं करेगा।

रूस यूरोपीय नाटो सदस्य देश पर प्रत्यक्ष सैन्य हमला करे या नहीं, महाद्वीप को कमजोर करने के लिए उसे ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यूक्रेन के लिए, इस तरह के समझौते का खतरा साफ है। इस समझौते के तहत रूस यूक्रेन में बड़े पैमाने पर चल रहे युद्ध को रोक तो सकता है, लेकिन यह लगभग निश्चित रूप से देश को अंदर से अस्थिर करना जारी रखेगा। स्थायी क्षेत्रीय रियायत इन जोखिमों से निपटना और भी मुश्किल बना देगी।

इस तरह के समझौते से यूक्रेन में जनमत विभाजित होने की संभावना है और युद्ध प्रयासों में शामिल लोग पूछेंगे: ‘‘आखिर हम किसके लिए लड़ रहे हैं?'' युद्धविराम के बदले जमीन का समझौता एक बेकार सौदा होगा। यह निश्चित रूप से यूक्रेन, यूरोप और पश्चिम के लिए और भी जटिल समस्याएं पैदा करेगा। ट्रंप के लिए बेहतर होगा कि वे आने वाले महीनों में पुतिन के साथ आगे की बातचीत में यूक्रेन को इस तरह के समझौते के लिए बाध्य करने से बचें।

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