अतिरिक्त मुख्य सचिव, डीजीपी और एसपी को जबरन छुट्टी पर भेजा
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने विमल नेगी मौत मामले की जांच के बाद चर्चा में आये अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉक्टर अतुल वर्मा और शिमला के एसपी संजीव गांधी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया है। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने मंगलवार देर शाम आदेश जारी किये। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने इन तीनों अधिकारियों को फोर्स लीव पर भेजे जाने के फैसले की पुष्टि की है।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत के मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रदेश पुलिस महानिदेशक और एसपी शिमला ने हाईकोर्ट में अलग-अलग जांच रिपोर्ट एवं स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। यही नहीं, एसपी शिमला ने पुलिस महानिदेशक पर हाईकोर्ट में कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एसपी को कड़ी फटकार लगाई थी और प्रदेश पुलिस में चल रही अंदरूनी लड़ाई का भी जिक्र किया था। इस सारे प्रकरण के बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विमल नेगी की मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। इस बीच, एसपी ने पत्रकार वार्ता में भी आला अफसरों पर आरोप लगाए थे।
इसके बाद, मुख्यमंत्री ने बाकायदा पत्रकार वार्ता कर सीबीआई जांच के आदेशों के खिलाफ अपील में न जाने की बात कही। उन्होंने एसीएस ओंकार शर्मा की जांच रिर्पोट को लेकर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री ने हाई लेवल बैठक कर अफसरों के कंडक्ट को लेकर रिर्पोट मांगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक बार फिर हाई लेवल बैठक हुई और रिर्पोट पर चर्चा के बाद तीनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया गया।
सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर
सीबीआई ने मंगलवार को विमल नेगी की मौत के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने और कॉमन इंटरेस्ट के आरोपों में एफआईआर दर्ज कर ली। सीबीआई सूत्रों के अनुसार शिमला पुलिस द्वारा 19 मार्च को दर्ज मामले के आधार पर नयी दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गयी है। सीबीआई के डीएसपी बृजेंद्र प्रसाद सिंह मामले में जांच अधिकारी होंगे। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 23 मई को सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को बिलापुर जिले में गोविंद सागर झील से मिला था। उनकी पत्नी किरण नेगी ने आरोप लगाया था कि विमल नेगी के वरिष्ठ अधिकारी उन्हें परेशान कर रहे थे। मामले की जांच के लिए शिमला के एसपी संजीव गांधी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। विपक्षी दल भाजपा, कांग्रेस सरकार पर मामले को दबाने का आरोप लगा रही थी।