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MCD स्थायी समिति के हाल में हुए चुनाव के खिलाफ AAP सुप्रीम कोर्ट पहुंची

दिल्ली की सीएम आतिशी ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया
भाजपा पार्षद सुंदर सिंह तंवर शुक्रवार को नई दिल्ली के सिविक सेंटर में स्थायी समिति की सीट जीतने के बाद पार्टी पार्षदों के साथ विजय चिन्ह दिखाते हुए। ट्रिब्यून फाइल फोटो
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नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा)

MCD Standing Committee: आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के एक सदस्य के लिए हुए चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 27 सितंबर को हुआ चुनाव 'गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक' था।

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भाजपा ने MCD की 18 सदस्यीय स्थायी समिति की एकमात्र रिक्त सीट पर निर्विरोध जीत हासिल की क्योंकि सत्तारूढ़ AAP और कांग्रेस के पार्षदों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। भाजपा ने MCD की स्थायी समिति में रिक्त पद भरने के लिए हुए चुनाव को लेकर दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई किए जाने का हाल में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था।

आतिशी ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि AAP शुक्रवार को हुए चुनाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। आतिशी ने भाजपा को MCD को भंग कराने और यह देखने के लिए चुनावों में AAP का मुकाबला करने की चुनौती दी कि लोग नगर निगम में किस पार्टी को चाहते हैं।

उन्होंने कहा था, 'देश संविधान और कानून से चलता है, गुंडागर्दी से नहीं इसलिए भाजपा को लोकतंत्र की हत्या बंद करनी चाहिए।' आतिशी ने कहा था कि स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम, 1957 का उल्लंघन करके किया गया। उन्होंने कहा था कि नियमों के अनुसार, केवल महापौर ही MCD की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख और स्थान तय कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि केवल महापौर ही चुनाव के लिए MCD पार्षदों की बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी 'पूरी तरह से राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित' है और उनका उद्देश्य ‘भ्रम' फैलाना था।

सचदेवा ने कहा था, 'आतिशी को पता होना चाहिए कि DMC अधिनियम की धारा 45 के तहत स्थायी समिति का गठन अनिवार्य है। धारा 487 के तहत उपराज्यपाल और नगर आयुक्त को विशेष परिस्थितियों में निगम की बैठक बुलाने का अधिकार है और वे बैठक के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने पांच अगस्त को कहा था कि कानून दिल्ली के उपराज्यपाल को MCD में ‘एल्डरमैन' नामित करने का 'स्पष्ट रूप से अधिकार' देता है और वह (उपराज्यपाल) इस मामले में मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मंत्री परिषद की सलाह माने बगैर दिल्ली नगर निगम (MCD) में 10 ‘एल्डरमैन' नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती दी गई थी।

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