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नमामि गंगे साइट पर करंट से 16 की मौत

* चमोली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर हुआ हादसा, मजिस्ट्रेट जांच के आदेश * राष्ट्रपति, पीएम ने जताया शोक, सीएम ने किया 5-5 लाख मुआवज़े का ऐलान
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चमोली में बुधवार को घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट करते राहतकर्मी। - निस
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राजेश डोबरियाल/निस

देहरादून, 19 जुलाई

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बुधवार की सुबह उत्तराखंड के चमोली से दर्दनाक ख़बर आई। चमोली में नमामि गंगे परियोजना के पास जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में बिजली का करंट फैल गया। इसकी चपेट में आने से 16 लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में एक पुलिसकर्मी और 3 होमगार्ड भी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये मुआवज़ा देने का ऐलान किया है। घायलों को एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस भयानक हादसे के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

चमोली पुलिस के अनुसार मंगलवार रात करंट फैलने से परियोजना में केयर टेकर गणेश की मौत हो गई थी। सुबह पुलिस को सूचना दी गयी और पुलिस से पहले परिजन और ग्रामीण वहां इकट्ठे हो गए। उत्तेजित ग्रामीण पंचनामा करने से पहले मुआवज़ा घोषित करने की मांग करने लगे। प्लांट से बाहर निकल रही दो-ढाई फुट चौड़ी सीढ़ियों पर सब खड़े थे। इसी दौरान रेलिंग में करंट दौड़ गया और लोग एक-एक कर वहीं गिर गए और 15 की जान चली गयी। हादसे में गंभीर रूप से घायल 6 लोगों को हेलीकॉप्टर से लिफ़्ट कर एम्स ऋषिकेश भेजा गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अनेक लोगों ने इस हादसे पर शोक जताया और इसे ‘अत्यंत पीड़ादायक’ करार दिया। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फोन कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चमोली घटना के संबंध में जानकारी ली। बताया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी घटना की पूरी जानकारी दी है।

एक दिन का प्रभार साबित हुआ एसआई प्रदीप रावत का आखिरी काम

चमोली हादसे में मारे गए इंस्पेक्टर प्रदीप रावत।
चमोली हादसे में मारे गए इंस्पेक्टर प्रदीप रावत।

हादसे में मारे गए सब इंस्पेक्टर प्रदीप रावत को जैसे मौत वहां खींचकर ले गई थी। प्रदीप रावत चमोली की पीपलकोटी चौकी के इंचार्ज थे। चमोली थाने के इंचार्ज कुलदीप रावत एक केस की सुनवाई के लिए नैनीताल हाईकोर्ट गए हुए थे। उनके बाद प्रभारी एसएसआई को मिलना था, लेकिन वह भी किसी वजह से बुधवार को थाने में मौजूद नहीं थे। ऐसे में थाने का प्रभार एक दिन के लिए प्रदीप रावत को मिला था और वह मौके पर शव का पंचनामा करने गए थे। यह उनका आखिरी काम साबित हुआ। करंट फैलने के दौरान ही उनकी भी मौत हो गयी।

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