नयी दिल्ली, 3 जनवरी (एजेंसी) ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एहतियात के तौर पर पृथकवास में रह रहे पांच भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूरी टीम श्रृंखला के तीसरे टेस्ट के लिए एक साथ चार्टर्ड विमान से सोमवार को मेलबर्न से सिडनी रवाना होगी। भारतीय उपकप्तान रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, शुभमन गिल, पृथ्वी साव और नवदीप सैनी के खिलाफ कोरोना वायरस से बचाव के लिए लागू जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन को कथित तौर पर तोड़ने की जांच जारी है, लेकिन उन्हें टीम के साथ यात्रा करने से नहीं रोका जाएगा। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को जारी मीडिया विज्ञप्ति में कहा कि वे इस मामले की जांच बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के साथ मिलकर कर रहे हैं। यह मामला तब तूल पकड़ा जब नवलदीप सिंह नाम के एक प्रशंसक ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया जिसमें ये पांचों एक इनडोर रेस्तरां में खाना खा रहे थे। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘अगर आप क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के बयान को ध्यान से पढ़ेंगे तो उन्होंने कभी नहीं कहा कि यह एक उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वे यह निर्धारित करना चाहते हैं कि क्या यह उल्लंघन है।’ उन्होंने बताया, ‘इसलिए टीम के साथ सिडनी जाने वाले इन पांच खिलाड़ियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। पूरी टीम कल दोपहर उड़ान भर रही है।’ यह पता चला है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के इस मसले से निपटने के तरीके से भारतीय टीम खुश नहीं है। सूत्र ने कहा, ‘उस प्रशंसक ने अगर सोशल मीडिया पर खिलाड़ी (पंत) को गले लगाने को लेकर झूठ नहीं बोला होता तो यह मामला बड़ा नहीं होता। खिलाड़ी अंदर इसलिए गये क्योंकि वहां बूंदाबांदी हो रही थी।’ उन्होंने कहा, ‘उसने बिना अनुमति के वीडियो बनाया और फिर बिना किसी के कहे ही पब्लिसिटी के लिए बिल का भुगतान कर उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया।’ उन्होंने सवाल किया, ‘क्या आप यह कहना चाहते है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ऐसे व्यक्ति के वीडियो के आधार पर निर्णय लेगा, जिसने पहले झूठ बोला और फिर अपने बयान से मुकर गया।’ इस पूरे मामले के बाद टीम के प्रशासनिक प्रबंधक गिरिश डोंगरे की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहा है। बीसीसीआई के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डोंगरे बीसीसीआई के कार्मचारी है और उन्हें कोविड-19 प्रोटोकॉल को लेकर टीम को संभालने के लिए रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों के लिए प्रोटोकॉल की हर बात याद रखना जरूरी नहीं है। इस काम के लिए एक पेशेवर टीम है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना है कि हर नियम का पालन किया जाये। यह सुनिश्चित करने के लिए डोंगरे का कर्तव्य था कि खिलाड़ियों को बताया जाए कि वे एक इनडोर क्षेत्र में नहीं जा सकते।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।