Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Shubman Gill Form : क्लासिकल बल्लेबाजी का टी20 पर भारी पड़ना, सवालों के घेरे में गिल का नया फॉर्म

क्या स्टांस में बदलाव से प्रभावित हुआ गिल का टी20 खेल?

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

भारत की टेस्ट और एकदिवसीय टीम के कप्तान शुभमन गिल ने अपनी तकनीक को गैरपारंपरिक शैली से अधिक क्लासिकल शैली में बदल लिया है जिससे उन्हें टी20 अंतरराष्ट्रीय में वैसा फायदा नहीं मिल रहा है जैसा उन्होंने सोचा था। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट कप्तान के तौर पर अपनी पहली श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन करते हुए 754 रन बनाने वाले गिल सबसे छोटे प्रारूप में वैसा फॉर्म नहीं दिखा पाए हैं।

यह भी नहीं भूलना चाहिए कि गिल को अच्छा प्रदर्शन करने वाले संजू सैमसन की जगह उतारा गया है जिन्होंने पिछले सत्र में तीन अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए थे लेकिन सभी प्रारूप की कप्तानी की बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए और विराट कोहली तथा रोहित शर्मा के बाद भारतीय क्रिकेट के अगले बड़े ब्रांड की चाहत को देखते हुए गिल को सबसे छोटे प्रारूप में उप कप्तानी सौंपी जाना कोई हैरानी की बात नहीं है। वर्ष 2025 में टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करते हुए गिल का प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा है।

Advertisement

उन्होंने इस साल जो 13 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले उनमें 183 गेंद पर 143 से अधिक के स्ट्राइक रेट से 263 रन बनाए हैं जिसमें सिर्फ चार छक्के शामिल है। इसके विपरीत उनके सबसे अच्छे मित्र और सलामी जोड़ीदार अभिषेक शर्मा ने 2025 में 18 मैच में 397 गेंद पर 188.5 के स्ट्राइक रेट से 773 रन बनाए हैं जिसमें 48 छक्के शामिल हैं - यानी हर मैच में लगभग तीन छक्कों का औसत। गिल का तरीका अब भी टीम इंडिया के ‘किसी भी कीमत पर आक्रमण' की शैली से पूरी तरह मेल नहीं खाता है।

Advertisement

पीटीआई ने समस्या को समझने के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के एक पूर्व कोच से बात की जिन्होंने आईपीएल फ्रेंचाइजी में बल्लेबाजों के साथ काम किया है। भारत के एक पुराने खिलाड़ी और लेवल तीन कोच ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि जब गिल 2019 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आए थे, तब से लेकर आखिरी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी तक अगर कोई सीमित ओवरों के क्रिकेट में उनकी अधिकतर शानदार पारियों पर दोबारा गौर करे तो पता चलेगा उनका बल्ला तीसरी स्लिप या गली की तरफ कोण बनाए होता है जहां से वह नीचे आकर गेंद के संपर्क में आता है।

इस तरह का स्टांस हमेशा विकेट के स्क्वायर में शॉट खेलने में मदद करता है, विशेषकर पुल जैसे शॉट और गिल विश्व में सबसे अच्छे पुल शॉट खेलने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं लेकिन उस विशेष स्टांस (गेंद खेलने के लिए खड़े होने का तरीका) का नुकसान यह है कि विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट में अंदर आती गेंद अक्सर उनके पैड पर लगती थी या उनके डिफेंस को तोड़कर स्टंप्स पर लगती थी। गिल ने इंग्लैंड दौरे से पहले अपनी तकनीक पर काम किया जिससे वह अपने शरीर के अधिक पास शॉट खेलते थे।

उनका बल्ला सीधा आता था जबकि पहले बल्ला तीसरी स्लिप या गली क्षेत्र से नीचे आता था। टी20 में गिल को शायद ‘हॉरिजॉन्टल बैट शॉट्' खेलने की तकनीक पर लौटना पड़ सकता है और प्रारूप के हिसाब से तकनीक में यह बदलाव दिमागी खेल अधिक है। टी20 विश्व कप से पहले भारत को इस प्रारूप में अब नौ और मैच खेलने हैं और गौतम गंभीर चाहेंगे कि उनके मुख्य बल्लेबाजों में से एक गिल इस प्रारूप में लय फिर हासिल कर लें।

Advertisement
×