मेलबर्न, 5 अक्तूबर (एजेंसी)
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) की सूची में निशानेबाजी की वापसी होगी, जबकि कुश्ती का हटाया जाना भारत के लिए निराशाजनक होगा। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) और राष्ट्रमंडल खेल ऑस्ट्रेलिया ने बुधवार को विक्टोरिया 2026 सीडब्ल्यूजी के लिए पूर्ण खेल कार्यक्रम की घोषणा की, जिसमें 20 खेल और 26 स्पर्धाएं शामिल हैं। इसमें से 9 पूरी तरह से पैरा खेलों के लिए हैं। इन खेलों में निशानेबाजी की वापसी भारत के लिए स्वागत योग्य कदम है, तो वहीं कुश्ती का हटना निराशाजनक है। निशानेबाजी को बर्मिंघम में हुए पिछले खेलों की सूची से हटा दिया गया था। निशानेबाजी राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक 135 पदक (63 स्वर्ण, 44 रजत और 28 कांस्य) के साथ भारत का सबसे मजबूत खेल रहा है। कुश्ती इस सूची में 114 (49 स्वर्ण, 39 रजत और 26 कांस्य) पदक के साथ तीसरे स्थान पर है। भारत ने 2018 गोल्ड कोस्ट सत्र में निशानेबाजी में 16 पदक (सात स्वर्ण, चार रजत और पांच कांस्य) जीते थे, जो देश के कुल 66 पदकों का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा था। सीडब्ल्यूजी 2026 में पैरा-निशानेबाजी के जुड़ने से भारत की पदक तालिका में भी इजाफा होगा। लेकिन कुश्ती की अनुपस्थिति से टीम को नुकसान होगा। भारत ने बर्मिंघम खेलों में कुश्ती में सबसे अधिक 12 (छह स्वर्ण, एक रजत, पांच कांस्य) पदक हासिल किये थे। यह खेल 2010 के बाद से लगातार चार खेलों में शामिल रहा। दूसरी ओर, तीरंदाजी केवल दो बार राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा रहा है। यह 1982 और 2010 में इन खेलों का हिस्सा बना और भारत इन खेलों की सर्वकालिक पदक तालिका में तीरंदाजी में दूसरे स्थान पर है। इन खेलों की सूची से निशानेबाजी का हटना हालांकि अप्रत्याशित रहा। कुश्ती ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा लोकप्रिय खेल नहीं है और मेजबान देश आमतौर पर ऐसे खेलों को चुनता है जहां घरेलू एथलीटों से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद रहती है। निशानेबाजी ऑस्ट्रेलिया में लोकप्रिय खेल है। ऑस्ट्रेलिया ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के बाद सबसे अधिक नौ पदक (3 स्वर्ण, 5 रजत, 1 कांस्य) जीता था। विक्टोरिया राष्ट्रमंडल खेलों में हालांकि निशानेबाजी की ‘बोर’ स्पर्धाएं नहीं होंगी। इसमें पिस्टल, राइफल और शॉटगन से जुड़ी स्पर्धाएं होंगी। इस फैसले से हालांकि भारतीय निशानेबाजों की पदक संभावनाओं पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि वे पारंपरिक रूप से ‘बोर’ स्पर्धाओं में मजबूत नहीं हैं।