दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 दिसंबर
ओलंपिक, एशियाई व कॉमनवेल्थ सहित दूसरे बड़े एवं अंतर्राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेता खिलाड़ी ही अब राज्य में ग्राउंड स्तर पर खिलाड़ियों को तैयार करेंगे। नामचीन खिलाड़ियों को नये खिलाड़ियों को तैयार करने का जिम्मा देने की योजना सरकार बना रही है।
इसके लिए खेल एवं युवा मामले विभग की ओर से दूसरे जिलों की नीतियों का भी अध्ययन किया जा रहा है। संभवत: अगले साल राज्य सरकार संशोधित खेल नीति का ऐलान कर सकती है। प्रदेश में यह पहला मौका है जब किसी खिलाड़ी के हाथों में ही खेल विभाग की कमान है। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे पिहोवा से विधायक संदीप सिंह को सरकार ने खेल एवं युवा मामले विभाग का मंत्री बनाया हुआ है। ऐसे में उनकी निगरानी में नई खेल नीति पर काम हो रहा है। खेल नीति के लिए कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में खेल विभाग अनिल विज के पास था। उस समय वरिष्ठ आईएएस डॉ़ अशोक खेमका विभाग के प्रधान सचिव थे। खेमका द्वारा ही नई खेल नीति तैयार की गई थी। इस नीति में ओलंपिक, एशियाई व कॉमनवेल्थ पदक विजेताओं को एचसीएस तथा एचपीएस के पदों पर सीधी भर्ती में नौकरी देने का फैसला हुआ था। खेल के अलावा शिक्षा, पुलिस, विकास एवं पंचायत तथा ट्रांसपोर्ट सहित दूसरे विभागों में भी पदक विजेता खिलाड़ियों को एडजस्ट करने की योजना बनी। सरकार की इस खेल नीति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। खुद सरकार की ओर से ही एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट में जवाब देते हुए स्पष्ट कर दिया कि खेल नीति के तहत पदक विजेता खिलाड़ियों को सीधे एचसीएस नहीं लगाया जाएगा। वहीं पुलिस महानिदेशक की ओर से कोर्ट में कहा गया कि खिलाड़ियों को सीधे पुलिस विभाग में डीएसपी नियुक्त किए जाने के लिए विभाग के पास पद नहीं हैं। ऐसे में सरकार की खेल नीति के तहत किसी को भी ये पद नहीं मिल सके। अब खेल मंत्री संदीप सिंह ने विभाग के अधिकारियों को नीति में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का मानना है कि खिलाड़ियों को सीधे एचपीएस और एचपीएस लगाया तो जाता रहा है लेकिन वे अपनी ट्रेनिंग भी पूरी नहीं कर पाते।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नौकरी के बाद भी 8 से 10 साल तक खिलाड़ी खेलों में भाग लेते हैं। इसलिए अब तय किया गया है कि पदक विजेता खिलाड़ियों को खेल एवं युवा मामले विभाग में भी अधिक से अधिक एडजस्ट किया जाएगा। सरकार की यह दलील भी है कि नामचीन खिलाड़ियों की मौजूदगी में ट्रेनिंग से खिलाड़ियों का मनोबल भी बढ़ेगा। वहीं बड़े खिलाड़ियों को भी इस बात का गर्व होगा कि उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी ओलंपिक, एशियाई, कॉमनवेल्थ व दूसरे नेशनल व इंटरनेशनल गेम्स में खेल रहे हैं।
जिला स्तर पर बन सकते हैं नए पद
नामचीन पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए प्रदेश मुख्यालय के अलावा मंडल व जिला स्तर पर पद सृजित करके एडजस्ट किया जा सकता है। विभाग में अलग-अलग खेलों के कोच के ही 1000 के करीब पद स्वीकृत हैं। इनमें से करीब 550 पदों पर कोच कार्यरत हैं वहीं लगभग 450 पद खाली हैं। खेल नीति में संशोधन के बाद इन पदों पर भी पदक विजेता खिलाड़ियों की नियुक्ति होगी। खेल विभाग में ही पद सृजित करते समय इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा कि खिलाड़ियों के वेतन-भत्ते व दूसरी सुविधाएं एचसीएस और एचपीएस अधिकारियों के बराबर हों।
प्रदेश सरकार खेल नीति में जल्द ही संशोधन करेगी। इस पर काम शुरू हो चुका है। पदक विजेता खिलाड़ियों को एचसीएस व एचपीएस लगाने की बजाय विभाग में ही नये पद सृजित करके एडजस्ट किया जाएगा। सीएम के मार्गदर्शन में ही नई नीति पर काम हो रहा है।
-संदीप सिंह, खेल एवं युवा मामले मंत्री