Jadeja Retirement : क्रिकेट से विदा लेने पर बोले रवींद्र जडेजा, कहा - आज अश्विन की कमी है, पर मैं भी हमेशा नहीं रहूंगा...
हमें अश्विन की कमी खलती है लेकिन एक दिन जडेजा को भी जाना होगा: जडेजा
Jadeja Retirement : वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैचों की श्रृंखला के शुरुआती टेस्ट मैच में अपने बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन कर मैन ऑफ द मैच चुने गये हरफनमौला रविंद्र जडेजा ने लंबे समय तक टीम में रहे अपने साथी दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन की बात करते हुए कहा कि हर खिलाड़ी को एक दिन इस खेल को अलविदा कहना होता है। भारतीय टीम लगातार 12 वर्षों तक जडेजा और अश्विन मौजूदगी में घरेलू सरजमीं पर 18 टेस्ट श्रृंखला में अजेय रही।
यह सिलसिला पिछले साल न्यूजीलैंड से 0-3 की करारी शिकस्त के साथ खत्म हुआ। वेस्टइंडीज के खिलाफ भारतीय टीम ने पूरा दबदबा कायम करते हुए शनिवार को पारी और 140 रन की शानदार जीत दर्ज की। जडेजा ने 104 रन की नाबाद पारी खेलने के बाद गेंद से भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 54 रन देकर चार विकेट चटकाये। इस दौरान उन्हें अपने लंबे समय के साथी अश्विन की भी याद आई जिनके साथ उन्होंने अतीत में ऐसे कई पल बिताए थे। जडेजा से पूछा गया कि क्या आपको अश्विन की कमी खलती है तो उन्होंने कहा, ‘‘बिलकुल, हमें उनकी कमी महसूस होती है। अश्विन ने भारतीय क्रिकेट के लिए इतने सालों तक बहुत योगदान दिया है। वो एक मैच विजेता रहे हैं।''
अहमदाबाद टेस्ट अश्विन के संन्यास के बाद भारत का घरेलू मैदान पर पहला मैच था। जडेजा ने कहा कि भारत में टेस्ट खेलना और अश्विन नहीं हों यह सोच कर अजीब लगता है। ऐसा लगता है कि अब अश्विन गेंदबाजी करेंगे लेकिन फिर अहसास होता है कि अब वो टीम में नहीं हैं। कुलदीप यादव और वॉशिंगटन सुंदर को अब युवा नहीं कहा जा सकता क्योंकि वे काफी मैच खेल चुके हैं, फिर भी यह एक अलग तरह का स्पिन संयोजन था। भविष्य में शायद आप कहेंगे कि अब जड्डू (जडेजा) नहीं है, लेकिन फिर कोई और आ जाएगा और ऐसा होना ही है। यह सिलसिला चलता रहेगा। भारत ने दूसरे दिन के स्टंप्स के बाद से ही पारी घोषित करने का मन बना लिया था क्योंकि उन्हें लगता था कि संघर्ष कर रही वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ 286 रन की बढ़त ही काफी है।
उन्होंने आगे कहा कि हमने पिछली रात से ही पारी घोषित करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया था क्योंकि हमें लगा कि इस पिच पर 280 से ज़्यादा की बढ़त काफी होगी। ऐसा कुछ नहीं है। मैं जैसे पहले खेलता था, वैसे ही अब भी खेलता हूं। कुछ खास सोचने की जरूरत नहीं है। जब भी कोई मुझसे पूछता है कि क्या करना चाहिए, क्या रणनीति होनी चाहिए, तो मैं अपनी राय देता हूं। अगर टीम को कुछ चाहिए, तो मैं हमेशा तैयार हूं। उप-कप्तानी सिर्फ कागज पर होती है। असली फर्क तब पड़ता है जब एक सीनियर खिलाड़ी खुद जाकर युवा खिलाड़ी को कुछ बताता है या कोई गलती सुधारने में मदद करता है। हमारी टीम में सिर्फ ऐसी संस्कृति नहीं है कि सिर्फ युवा खिलाड़ी ही सीनियर के पास जाकर पूछें। अगर मैं खुद जाकर बात करूं तो वो ज़्यादा असरदार होता है। हम एक-दूसरे को बराबरी से देखते हैं। सीनियर-जूनियर जैसी कोई सोच नहीं है। इज्जत दिल से आती है, उसे जाहिर करने की ज़रूरत नहीं होती।
जडेजा ने कहा कि भारत के पास भविष्य में हर तरह की परिस्थितियों में खेलने वाली मजबूत टीम होगी। यह भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी बात है कि अगले चार - पांच साल में हमारे पास सभी परिस्थितियों के लिए एक बहुत ही मजबूत टीम होगी। जडेजा ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले दो महीनों से कोई क्रिकेट नहीं खेला था और इसलिए वह अपनी गेंदबाजी लय हासिल करना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पिछले दो महीने में कोई क्रिकेट नहीं खेला और ज्यादा गेंदबाजी भी नहीं की थी। जब भी मौका मिलता, मैं गेंदबाजी करता था। मैं उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) गया, कुछ गेंदबाजी सत्र में भाग लिया लेकिन फिर भी संतुष्ट नहीं था। मुझे और ज्यादा गेंदबाजी करनी थी। अभ्यास में मैं लगातार गेंदबाजी कर रहा था ताकि अपनी लय वापस पा सकूं और मैच के लिए लाइन और लेंथ पर काम कर सकूं।''