सिडनी, 10 जनवरी (एजेंसी) ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां जारी तीसरे टेस्ट मैच के दौरान शनिवार को अंगूठे में चोट के बाद फ्रेक्चर और ‘डिस्लोकेशन’ का सामना करने वाले भारतीय हरफनमौला रविन्द्र जडेजा इंगलैंड के खिलाफ आगामी श्रृंखला के पहले दो टेस्ट मैचों से बाहर हो गये हैं। भारत की पहली पारी में बल्लेबाजी के दौरान मिशेल स्टार्क की शॉर्ट गेंद उनके बायें हाथ के दस्ताने पर लगी थी जिसके बाद उन्हें चिकित्सा मदद लेनी पड़ी। चोट के कारण वह ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में गेंदबाजी नहीं कर सके। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ रविंद्र जडेजा इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट से बाहर हो गये हैं। उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में 4 से 6 सप्ताह की आवश्यकता होगी।’ इंगलैंड के खिलाफ 4 मैचों की इस श्रृंखला की शुरूआत 5 फरवरी से चेन्नई में होगी। पहला और दूसरा टेस्ट चेन्नई में खेला जाएगा। पहली पारी में इस वामहस्त खिलाड़ी ने चार विकेट लेने के बाद नाबाद 28 रन बनाकर टीम के लिए शानदार योगदान दिया। सिडनी टेस्ट में अगर जरूरत पड़ी तो वह दर्द निवारक इंजेक्शन लेकर बल्लेबाजी करेंगे। सूत्र ने कहा, ‘टेस्ट बचाने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो वह इंजेक्शन लेकर बल्लेबाजी करेंगे। भारतीय टीम के सीनियर खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि कोहनी में चोट का सामना करने वाले ऋषभ पंत दूसरी पारी में बल्लेबाजी करेंगे। मैच के तीसरे दिन बल्लेबाजी के दौरान पंत चोटिल हो गये थे। पैट कमिंस की गेंद उनकी कोहनी पर लगी थी। जडेजा और पंत को इसके बाद स्कैन के लिए ले जाया गया जहां पंत की चोट ज्यादा गंभीर नहीं निकली।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।