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IPL 2025 champions 18 साल की तपस्या, 22 गज की साधना — विराट और RCB ने आखिरकार छू ही लिया 'सपनों का ताज'

दीपांकर शारदा/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 4 जून आईपीएल के इतिहास में आज एक ऐसा दिन आया, जब सपनों ने हकीकत का रूप लिया। 18 वर्षों की मेहनत, संघर्ष और उम्मीद के बाद, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पहली बार आईपीएल की ट्रॉफी अपने...
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दीपांकर शारदा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 4 जून

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आईपीएल के इतिहास में आज एक ऐसा दिन आया, जब सपनों ने हकीकत का रूप लिया। 18 वर्षों की मेहनत, संघर्ष और उम्मीद के बाद, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पहली बार आईपीएल की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। पंजाब किंग्स को 6 रन से हराते हुए RCB ने न सिर्फ एक बड़ा मैच जीता, बल्कि एक लंबी प्रतीक्षा और निराशा के दौर को भी आखिरकार समाप्त किया। इस जीत की सबसे बड़ी वजह थी विराट कोहली का अद्भुत नेतृत्व और जुनून, जिन्होंने ना केवल मैदान पर बल्कि दिलों में भी इतिहास रच दिया और इस ऐतिहासिक क्षण का चेहरा थे — विराट कोहली। उनकी नम आंखों में सिर्फ जीत नहीं, बल्कि एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत छिपी थी।

'18' विराट की नियति का नंबर, अब बना विजय का प्रतीक

IPL 2025 की ट्रॉफी विराट कोहली के हाथों में थी। उनके चेहरे पर सुकून था, लेकिन आंखों में आँसू।

'18' — यह बस एक अंक नहीं, कोहली की क्रिकेट यात्रा की आत्मा है।

  • 18 दिसंबर 2006 को पिता को खोया।
  • अंडर-19 टीम में मिली पहली जर्सी — नंबर 18।
  • और अब, IPL का 18वां संस्करण — जब विराट कोहली ने खुद को मुकम्मल किया।

    कभी यह अंक बोझ रहा, आज यही उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गया।

RCB की जीत — जब आंकड़े कम थे, लेकिन आत्मा अजेय

190 रन का स्कोर। एक फाइनल के लिए साधारण, लेकिन RCB के इरादों के आगे ये स्कोर दीवार बन गया। विराट (43 रन), सॉल्ट (16), पाटीदार (26) भले ही विस्फोटक नहीं रहे, लेकिन जितेश शर्मा ने 10 गेंदों पर 24 रन की जो चिंगारी छोड़ी, वही चिंगारी लाल लहर बनकर पंजाब पर टूट पड़ी।

RCB की पारी बीच के ओवरों में धीमी रही — 6 से 11वें ओवर में मात्र 42 रन। लेकिन अंत के ओवरों में आक्रामकता ने वापसी कराई।

पंजाब की ओर से काइल जेमीसन (3 विकेट) और अर्शदीप सिंह (3 विकेट) ने कमाल किया। अर्शदीप का आखिरी ओवर तो किसी क्लासिक थ्रिलर की तरह था — तीन विकेट, एक नई उम्मीद। लेकिन RCB ने हौसले से जीत की चाबी अपने पास रखी।

PBKS: एक बार फिर ‘इतिहास के दरवाज़े’ पर दस्तक देकर लौट गई

PBKS की शुरुआत शानदार थी। प्रियंश आर्य और प्रभसिमरन सिंह ने पहले 5 ओवर में 43 रन जोड़े — जैसे ये मुकाबला एकतरफा होगा। लेकिन Arya के आउट होते ही लय टूटी। कप्तान श्रेयस अय्यर असफल रहे, और बीच के ओवरों में RCB की रणनीति ने मैच का रुख मोड़ दिया।

हालांकि शशांक सिंह (61 रन, 30 गेंद) ने अंत में लगभग नामुमकिन को मुमकिन की ओर खींचा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

RCB की ओर से कृणाल पंड्या (2/17) सबसे प्रभावी साबित हुए — उन्होंने रन चोक किए, विकेट लिए और पंजाब की सांसें थामीं।

विराट की आंखों में आंसू नहीं, इतिहास था

जब मैच समाप्त हुआ, और ट्रॉफी विराट के हाथों में आई, स्टेडियम में हर दर्शक की सांसें थम गईं।

वो कोहली जिसने IPL की हर हार के बाद फैंस से माफ़ी मांगी... वो कोहली जिसने आलोचना को ईंधन बनाया... और वो कोहली जिसने कभी हार नहीं मानी — आज जीत का प्रतीक था।

यह ट्रॉफी विराट के लिए सिर्फ एक खिताब नहीं, एक पीढ़ी की भावना थी

RCB: अब सिर्फ "इमोशनल फेवरिट्स" नहीं, असली चैंपियन हैं।  18 वर्षों की प्रतीक्षा, आलोचना और ट्रोल्स के बीच RCB हमेशा चर्चा में रही — लेकिन अब वह हास्य का पात्र नहीं, गौरव का प्रतीक बन चुकी है। कप्तान नहीं होते हुए भी विराट कोहली ने जिस ऊर्जा, जोश और नेतृत्व की भूमिका निभाई, वह इस जीत की असली नींव थी। अब, जब IPL के अगले सीज़न की चर्चा होगी, तो RCB के नाम के आगे लगेगा — “डिफेंडिंग चैंपियंस।”

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