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'जो मांगा था, वो मिल गया': पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने स्थापित किया नया कीर्तिमान, भारत की एशिया कप सक्षम टीम में बनाई जगह

जम्मू-कश्मीर की 18 वर्षीय तीरंदाज शीतल सोनीपत में हुए चार दिवसीय राष्ट्रीय चयन ट्रायल में तीसरे स्थान पर रहीं
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जन्म से ही भुजाहीन पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने एक और उपलब्धि हासिल करते हुए जेद्दा में होने वाले आगामी एशिया कप चरण तीन के लिए भारत की सक्षम जूनियर टीम में जगह बनाई। पिछले साल नवंबर में ही अमिताभ बच्चन के ‘कौन बनेगा करोड़पति' शो में शीतल ने एक इच्छा व्यक्त की थी ‘एक दिन सक्षम एथलीटों के साथ प्रतिस्पर्धा करना'।

ठीक एक साल बाद उनका यह सपना साकार हो गया। विश्व कंपाउंड चैंपियन शीतल के लिए एक सक्षम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में शामिल होना एक और ऐतिहासिक उपलब्धि है। शीतल ने टीम की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर लिखा कि जब मैंने प्रतिस्पर्धा शुरू की थी तो मेरा एक छोटा सा सपना एक दिन सक्षम तीरंदाजों के साथ प्रतिस्पर्धा करना था। शुरुआत में मैं इसमें सफल नहीं हो पाई, लेकिन मैं हर असफलता से सीखते हुए आगे बढ़ती रही। आज वह सपना एक कदम और करीब आ गया है।''

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली शीतल ने तुर्की की पेरिस पैरालंपिक चैंपियन ओजनूर क्यूर गिर्डी से प्रेरणा ली जो विश्व स्तर पर सक्षम तीरंदाजों की स्पर्धाओं में भी भाग लेती हैं। देश भर के 60 से ज्यादा सक्षम तीरंदाजों के बीच समान परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धा करते हुए जम्मू-कश्मीर की 18 वर्षीय तीरंदाज शीतल सोनीपत में हुए चार दिवसीय राष्ट्रीय चयन ट्रायल में तीसरे स्थान पर रहीं। शीतल ने क्वालीफिकेशन दौर में 703 अंक हासिल किए (पहले दौर में 352 और दूसरे दौर में 351) जो शीर्ष क्वालीफायर तेजल साल्वे के कुल अंक के बराबर स्कोर था।

फाइनल रैंकिंग में तेजल (15.75 अंक) और वैदेही जाधव (15 अंक) ने शीर्ष दो स्थान हासिल किए जबकि शीतल ने 11.75 अंक के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। शीतल ने महाराष्ट्र की ज्ञानेश्वरी गडाधे को 0.25 अंक के मामूली अंतर से पीछे छोड़ा। कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर में ट्रेनिंग करने वाली शीतल ने पैरा तीरंदाजी में पहली भुजाहीन विश्व चैंपियन बनकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया। पेरिस पैरालंपिक के बाद रास्ता आसान नहीं था।

फिर वह कोच गौरव शर्मा के मार्गदर्शन में पटियाला में ट्रेनिंग करने लगी। विश्व तीरंदाजी द्वारा नियम में बदलाव के बाद वहां पर शर्मा ने उनकी निशानेबाजी की मुद्रा को बदलने ने में मदद की क्योंकि नियम के तहत धनुष को एड़ी से छूने पर रोक लगा दी गई थी। उसे शुरूआत से आरंभ करना पड़ा। नई मुद्रा में नियंत्रण चाहिए था। उसके पैर में दर्द रहने लगा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

उसके दृढ़ सकंल्प ने अंतर पैदा किया। उन्होंने कहा कि शीतल का अगला लक्ष्य पैरा और सक्षम अभियान के बीच संतुलन बनाना होगा। शर्मा ने कहा कि अगले साल एशियाई पैरा खेलों पर हमारा मुख्य ध्यान होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन हम सक्षम खिलाड़ियों वाली सीनियर स्पर्धा के लिए उसका ट्रायल लेने और यह देखने की भी योजना बना रहे हैं कि वह कैसा प्रदर्शन करती है।

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