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जीत ली दुनिया हरियाणा की बॉक्सर बेटियों ने

जैस्मिन और मीनाक्षी बनीं विश्व चैंपियन, नूपुर की चांदी, पूजा को कांस्य
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जैस्मिन लंबोरिया।
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हरियाणा की बेटियों ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में देश को सोना-चांदी दिलाकर इतिहास रच दिया है। ब्रिटेन के लिवरपूल में आयोजित चैंपियनशिप में जैस्मिन लंबोरिया (57 किग्रा) और मीनाक्षी हुड्डा (48 किग्रा) ने कड़े मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। वहीं, नूपुर श्योराण (80 प्लस किलो) और पूजा रानी (80 किलो) ने गैर ओलंपिक भार वर्ग में क्रमश: रजत और कांस्य पदक प्राप्त किया। विदेशी सरजमीं पर महिला वर्ग में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। जैस्मिन, नूपुर और पूजा भिवानी की रहने वाली हैं, जबकि मीनाक्षी रोहतक से हैं।

मीनाक्षी हुड्डा।

जैस्मिन ने शनिवार रात पेरिस ओलंपिक की रजत पदक विजेता पोलैंड की जूलिया जेरेमेटा को 4-1 से हराकर फीदरवेट वर्ग में खिताब जीता। इसके बाद मीनाक्षी ने रविवार को पेरिस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता कजाखस्तान की नाजिम काइजेबे को 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में इसी अंतर से हराया। भिवानी में जैस्मिन के पिता जयवीर, माता रविंद्र कौर और कोच संदीप ने मिठाई बांटकर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि बेटी ने दिन-रात मेहनत की है। उन्हें विश्वास था कि वह मेडल जरूर जीतेगी। उन्होंने कहा कि जैस्मिन हमेशा समय पर मैदान में पहुंचती है और कड़ा अभ्यास करती है। माता-पिता ने कहा कि वह खिलाड़ी बेटियों के परिजनों को कहना चाहेंगे कि अपने बच्चों पर विश्वास रखें और उन्हें खेलने का बेहतर माहौल उपलब्ध करवाएं।

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नूपुर के पिता व कोच और पूजा बोहरा के कोच भीम अवॉर्डी संजय श्योराण ने बेटियों के मेडल से न केवल देश का गौरव बढ़ा है, बल्कि हरियाणा व भिवानी का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा हुआ है। इसके लिए इन खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की थी। इस मौके पर भिवानी निवासियों ने मिठाई बांटकर बेटियों की जीत पर खुशी मनाई।

जीत के बाद जैस्मिन ने कहा, ‘मैं जो महसूस कर रही हूं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मैं पिछली दो विश्व चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में हार गई थी, लेकिन विश्व कप जीत से मेरा हौसला बढ़ा और मैंने तय किया कि मुझे एकतरफा मैच जीतने हैं। मैंने बस अपनी रणनीति और खेल पर ध्यान केंद्रित किया।’

जैस्मिन और मीनाक्षी विश्व चैंपियन बनने वाली भारतीय मुक्केबाजों की सूची में शामिल हो गई हैं। इससे पहले छह बार की चैंपियन एमसी मेरीकोम, दो बार की विजेता निकहत जरीन, सरिता देवी, जेनी आरएल, लेखा केसी, नीतू घनघस, लवलीना बोरगोहेन और स्वीटी बूरा यह खिताब जीत चुकी हैं।

नूपुर श्योराण

बेटी जब रिंग में उतरी, पिता चला रहे थे ऑटो... छलकी आंखें

मीनाक्षी हुड्डा की जीत की खबर मिलते ही रोहतक स्थित उनके गांव रुड़की में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटी और ऐलान किया कि मीनाक्षी का ऐतिहासिक स्वागत किया जाएगा और शोभायात्रा निकाली जाएगी। बुजुर्गों ने कहा कि मीनाक्षी ने गांव ही नहीं, पूरे देश का नाम रोशन किया है।मीनाक्षी ने विश्व मंच पर जब भारत का डंका बजाया, तो उनके पिता चौधरी कृष्ण हुड्डा रोज की तरह ऑटो चला रहे थे। ऑटो में सवारी के चलते वह मैच की शुरुआत नहीं देख पाए। परिणाम की खबर मिलते ही उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा, ‘यही ऑटो हमारे संघर्ष का साथी है। इसी ने घर का खर्च और मीनाक्षी की ट्रेनिंग संभव बनाई। मैं इसे कभी नहीं बेचूंगा।’

पूजा बोहरा

कोच विजय हुड्डा ने इस जीत को मीनाक्षी की कठिन मेहनत और अनुशासन का नतीजा बताया। भारतीय बॉक्सिंग संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि यह जीत पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। खेल प्रेरक अधिवक्ता राजनारायण पंघाल ने कहा कि मीनाक्षी जैसी बेटियां भारतीय बॉक्सिंग का स्वर्णिम भविष्य लिख रही हैं।

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