भिवानी, 23 जून (हप्र)
हरियाणा की बेटियां किन्ही भी मायनों में बेटों से कम नहीं हैं। पिछले ओलंपिक में हरियाणा की बेटियों ने जहां रैस्लिंग में अपनी धूम मचाई थी, अबकी बार बेटी मुक्केबाजी के खेल में भी अपना दम दिखाएगी। भिवानी जिला के गांव निमड़ीवाली की मिडलवेट के 75 किलोग्राम भार वर्ग की महिला मुक्केबाज पूजा बोहरा देश के लिए ओलंपिक में खेलेेंगी। इन दिनों पूजा बोहरा इटली में टोक्यो ओलंपिक की तैयारियोंं में जुटी हुई हैं।
23 जुलाई से आठ अगस्त के बीच होने वाले मुक्केबाजी मुकाबलों में पूजा बोहरा देश की पहली मुक्केबाज होंगी, जिन्होंने ओलंपिक का कोटा हासिल किया है। इससे पूर्व मैरीकोम ओलंपिक खेलों में रैडकार्ड से एंट्री पाने में सफल हुई थी। ग्रीन कार्ड से एंट्री करने वाली पूजा बोहरा पहली मुक्केबाज ओलंपियन बनीं।
पहले खेलती थी बास्केटबाल
एक साधारण परिवार में पैदा हुई पूजा बोहरा इन दिनों एक्साईज एंड टैक्शेसन विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। उनके पिता हरियाणा पुलिस में एएसआई है तथा माता गृहिणी हैं। पूजा बोहरा के पिता फुटबॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। ऐसे में खेलों के प्रति पूजा बोहरा की रुचि बचपन से ही है। पूजा बोहरा के ओलंपिक क्वालीफाई करने के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है। पूजा के पिता राजबीर, मां दमयंती, पूजा के कोच भीम अवॉर्डी संजय श्योराण ने बताया कि पूजा बोहरा जब कॉलेज में पढ़ती थी, उस समय वे बॉस्केबॉल खेलती थी। इसके बाद उन्होंने बॉक्सिंग को संजय श्योराण मुक्केबाजी कोच के कहने पर अपना लिया।
दर्जनों मैडल हैं उनके नाम
पूजा बोहरा के कैरियर की बात करें तो उन्होंने अब तक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दर्जनों मैडल प्राप्त किए हैं। वर्ष 2012 में मंगोलिया में हुए छठे एशियन मलिा मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल, 2015 में चाईना में हुई 7वीं एशियन वूमैन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल, 2016 में सरबिया में हुई पांचवी राष्ट्रीय मुक्केबाजी खेलों में ब्रांज मैडल, आस्ट्रेलिया में हुए अराफूरा गेम्स में 2011 में सिल्वर मैडल, चाईना ओपन बॉक्सिंग में वर्ष 2011 में ब्रांज मैडल, वर्ष 2014 में कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में ब्रांज मैडल, वर्ष 2019 में एशियन वूमैन अमच्योर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल, इसी वर्ष 2021 में दुबई में हुई एशियन वूमैन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल हासिल कर चुकी है। हरियाणा सरकार पूजा बोहरा को भीम अवॉर्ड से सम्मानित भी कर चुकी है।
दूध पीकर ओलंपिक तक पहुंची है शाकाहारी पूजा
पूजा की माता दमयंती बताती हैं कि जब पूजा ने मुक्केबाजी शुरू की तो एक मां होने के नाते उन्हें इस बात का डर रहता था कि कही बेटी के चेहरे पर चोंटें आने के कारण उसकी शादी होने में परेशानी न हो, परन्तु पूजा ने अपनी मां को विश्वास दिलाया कि वे खेल के माध्यम से देश का नाम रोशन करेंगी। दमयंती के अनुसार पूजा के लिए उन्होंने घर में देशी नस्ल की दो गाय को भी रखा हुआ है, जिनका दूध पीकर वह ओलंपिक तक पहुंची हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी अपने घर में कभी भी मांसाहार के लिए स्थान नहीं दिया तथा पूजा को भी घर में शाकाहारी भोजन ही दिया। पूजा के पिता राजबीर व भीम अवॉर्डी कोच संजय श्योराण ने बताया कि आज पूजा बेटा व बेटी के भेदभाव की कड़ी को तोड़ती नजर आ रही है। पूजा बोहरा से अब देशवासियों को ओलंपिक में मैडल की खासी उम्मीद है।