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गोल्ड मेडल से धर्मवीर नैन ने अमित सरोहा को दी गुुरु दक्षिणा

पेरिस पैरालंपिक : क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा
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पेरिस पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अपने कोच एवं गुरू अमित सरोहा के साथ धर्मबीर नैन। -हप्र
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हरेंद्र रापडिय़ा/हप्र

सोनीपत, 5 सितंबर

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पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेलों के पुरुष वर्ग की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में सोनीपत के गांव भदाना निवासी धर्मबीर नैन ने गोल्ड मेडल जीत। यह मेडल उन्होंने अपने गुरु अमित सरोहा को समर्पित किया है जो इस स्पर्धा में उनके प्रतिद्वंद्वी थे। सरोहा टॉप थ्री में स्थान नहीं बना पाये। धर्मबीर की जीत से उनके पैतृक गांव भदाना और सोनीपत स्थित उनके निवास पर खुशी की लहर दौड़ गई और परिजनों ने मिठाइयां बांट व पटाखे चलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस स्पर्धा में धर्मबीर अपने गुरु एवं कोच सोनीपत निवासी अमित सरोहा के साथ मैदान में थे। गुरु-शिष्य के बीच मुकाबला देखने के लिए स्टेडियम के अलावा सोनीपत में दोनों के निवास पर टीवी पर लाइव देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। इस स्पर्धा में धर्मबीर ने 34.92 मीटर का थ्रो करते हुए अपने ही एशियाई रिकॉर्ड को तोड़कर गोल्ड मेडल जीत लिया। हालांकि उनके पहले 4 थ्रो अमान्य रहे। उन्होंने पांचवीं बारी में स्वर्णिम थ्रो किया। वहीं फरीदाबाद के प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर का थ्रो लगाकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

दोनों के 4-4 थ्रो हुए अमान्य

अमित सरोहा ने फोन पर बातचीत में बताया कि क्लब थ्रो करते समय इस्तेमाल किए जाने वाले चिपचिपाहट भरे पदार्थ की गुणवत्ता कुछ अलग ही थी। यह पहला अवसर है जब थ्रो करने के दौरान क्लब हथेली से चिपक कर रह जाती थी। ऐसे में अधिकांश खिलाडिय़ों के कई-कई थ्रो अमान्य हो गये। खुद उनके तथा धर्मबीर के 4-4 थ्रो अमान्य रहे। उन्होंने कहा कि शिष्य धर्मबीर का मेडल भी उन्हीं का मेडल है।

गुरु-शिष्य साथ ही करते हैं अभ्यास

धर्मबीर नैन अपने गुरु एवं कोच अमित सरोहा की देखरेख में सोनीपत स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण के मैदान पर सालों से अभ्यास कर रहे हैं। दोनों का यह तीसरा पैरांलपिक था। इससे पहले रियो व टोक्यो पैरालंपिक में भी दोनों प्रतिद्वंद्वी रहे।

रीढ़ की हड्डी टूटी थीं, हौसला नहीं

वर्ष 2012 में नहर में नहाने के लिए धर्मबीर नैन ने छलांग लगाई, लेकिन जलस्तर कम होने से गर्दन सीधा तलहटी से जा टकराई। हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट गई व आधे से ज्यादा शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बावजूद धर्मबीर ने हार नहीं मानी। इसी हौसले के चलते आज उन्होंने देश की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया। परिजनों ने कहा कि स्वदेश वापसी पर धर्मबीर का भव्य स्वागत किया जाएगा।

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