ब्रिटिश एथलीट जैक फैंट ने दिया ज़िंदगी का संदेश
जिंदगी के सबसे कठिन हालातों में भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। इंसानी हौसला सबसे बड़ी ताक़त है। ये प्रेरक शब्द ब्रिटिश एथलीट जैक फैंट ने मोहाली के सेक्टर 69 स्थित पैरागॉन स्कूल में छात्रों और शिक्षकों से मुलाक़ात के दौरान कहे। सिर्फ 25 वर्ष की उम्र में जब जैक को टर्मिनल ब्रेन ट्यूमर का पता चला, तो उनकी दुनिया हिल गई।
डिप्रेशन और नशे की गिरफ़्त में आने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अपने दर्द को मक़सद बनाकर दौड़ने की अनोखी यात्रा शुरू की। आज वह सियाचिन से कन्याकुमारी तक 4,000 किलोमीटर की दौड़ पर हैं और इस दौरान मोहाली पहुंचे। जैक इस दौड़ को पूरा करने के बाद ऐसे पहले व्यक्ति बन जाएंगे, जिन्होंने पूरे भारत को दौड़कर अपने कदमों से नापा।
जैक बताते हैं कि उनकी दिनचर्या सुबह 5.30 बजे से शुरू होती है। दोपहर तक वह लगभग 35 किलोमीटर दौड़ लेते हैं, फिर शाम को 15 किलोमीटर और। इस तरह हर दिन 50 किलोमीटर दौड़ना उनकी दिनचर्या बन चुका है। उनकी टीम हर वक़्त साथ रहती है और हर शहर में स्थानीय धावक भी उनके साथ जुड़ते हैं, जिससे उन्हें और ऊर्जा मिलती है।
लोगों की हैरानी
हंसते हुए जैक बोले कि जब मैं हाईवे पर दौड़ता हूं तो लोग हैरान हो जाते हैं कि यह गोरा आखिर क्यों भारत की सड़कों पर दौड़ रहा है। कई स्थानीय धावक और साइकिलिस्ट मेरे साथ जुड़ जाते हैं, यह बहुत प्रेरणादायी है।
सामाजिक ज़िम्मेदारी
स्कूल प्रबंधन ने कहा - हमारी ज़िम्मेदारी है कि बच्चों को स्वास्थ्य, हौसले और सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करें। जैक की यात्रा से हमारे विद्यार्थियों को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा।
यह अनोखी दौड़ न सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित कर रही है। जैक फैंट का संदेश साफ़ है – हिम्मत, धैर्य और सकारात्मक सोच से हर मुश्किल को जीता जा सकता है।
पैरागॉन स्कूल की मेहमाननवाज़ी
पैरागॉन स्कूल के मुखिया मोहनबीर सिंह शेरगिल, हर्षदीप सिंह शेरगिल (एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर) और दीप शेरगिल की मेहमाननवाज़ी के लिए जैक ने ख़ास धन्यवाद दिया। दीप शेरगिल, जो ख़ुद भी मैराथन धाविका हैं, बोलीं – मेरे लिए भी जैक की यात्रा बेहद प्रेरक है। मैंने भी अपने पारिवारिक दुखों को मक़सद में बदलकर एक रनिंग कम्युनिटी बनाई है। जैक जैसे योद्धा हमारे लिए रोल मॉडल हैं। जैक फैंट के दौरे के बाद स्कूल प्रबंधन ने झंडी दिखाकर उनकी यात्रा को आगे रवाना किया। इस अभियान को संत बाबा परमजीत सिंह जी और संत बाबा अजीत सिंह जी का आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त है।
मौत की सज़ा जैसा लगा था…
जैक फैंट ने कहा कि जब किसी को खतरनाक बीमारी का पता चलता है तो लगता है जैसे मौत की सज़ा सुना दी गई हो। लेकिन मैंने अपने दर्द को मक़सद में बदल दिया। अगर मेरी बीमारी डाइग्नोज़ न होती तो शायद मैं ये अनमोल अनुभव नहीं कर पाता। नकारात्मक परिस्थितियों को सकारात्मक बनाना हमारे अपने हाथ में है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने उन्हें जीवन का असली अर्थ समझने में गहरी मदद दी है।