Asia Cup Final 2025 : प्रशंसकों के लिए ‘भारत बनाम पाकिस्तान' फाइनल जंग नहीं, बल्कि त्योहार; Pics में देखें नजारा
खेल प्रशंसकों के हंसी-मजाक, गानों और चीयर से माहौल आनंददायक बन गया
Asia Cup Final 2025 : दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और इसके आसपास का माहौल रविवार शाम को उत्सव में तब्दील हो गया, जहां एशिया कप फाइनल मैच शुरू होने से कई घंटे पहले ही भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक कतारों में लग गए। खेल प्रशंसकों के हंसी-मजाक, गानों और चीयर से माहौल आनंददायक बन गया, जिससे एक बार फिर क्रिकेट मुकाबला खुशनुमा लगने लगा।
महाराष्ट्र से आए प्रशंसकों के एक समूह ने बॉलीवुड तर्ज पर नारे लगाते हुए कहा कि दो रुपैया का च्यूइंग गम, सूर्या भाऊ सिंघम। इसी कतार में खड़े पाकिस्तान के कुछ समर्थक इस पर मुस्कुराए बिना नहीं रह सके और शायद याद दिला रहे थे कि क्रिकेट अब भी मजेदार हो सकता है। वहीं दूसरी ओर ‘स्पोर्ट्स सिटी' की सड़कों पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे गूंज रहे थे।
छोटे बच्चे रोहन के लिए यह सपने जैसा था जो भारत बनाम पाकिस्तान मैच देखने के लिए अपने पिता के साथ अबुधाबी से डेढ़ घंटे की यात्रा करके आया था। बड़े साइज की भारतीय जर्सी पहने इस बच्चे ने कहा कि जसप्रीत बुमराह उन्हें आउट कर देंगे। शारजाह में रहने वाले अफजल और आमिर दोनों भाई भी मैच की भावनाओं से ओतप्रोत थे, आमिर ने 1980 और 1990 दशक की याद करते हुए कहा कि पापा हमें शारजाह में पाकिस्तान के दबदबे के बारे में बताया करते थे जब भारत नहीं जीत पाता था।
दोनों टूर्नामेंट में पाकिस्तान को मिली दो हार से दोनों निराश थे। अफजल ने कहा कि अगर हम फिर हार गए तो दुख होगा। कल सोमवार है और हफ्ते शुरू होने से पेशेवर जिम्मेदारियां शुरू हो जाएंगी। शायद दुबई में प्रवासी लोगों का यही मिजाज है। बीते जमाने के तनावपूर्ण माहौल के विपरीत घर से दूर रहने वाले प्रवासियों के लिए लिए भारत-पाकिस्तान मुकाबले का टिकट हासिल करना किसी उत्सव का टिकट बुक करने जैसा है। यह जोश से भरे माहौल, हंसी मजाक और क्रिकेट के रोमांच के बारे में है।
उन्हें इसकी परवाह नहीं कि खिलाड़ी हाथ मिलाते हैं या नहीं, एक-दूसरे से नजरें मिलाते हैं या नहीं। भारतीय प्रशंसक चाहते हैं कि अभिषेक शर्मा स्टेडियम में छक्कों की बरसात करे तो पाकिस्तान के प्रशंसकों को उम्मीद है कि शाहीन शाह अफरीदी सटीक यॉर्कर फेंकेंगे। सवाल अब भी बरकार है। अगर खेल प्रेमी खेल से राजनीति को अलग कर सकते हैं, इसे जंग के बजाय एक खेल मुकाबला मान सकते हैं तो क्या अब समय नहीं आ गया है कि हितधारक भी ऐसा ही करें?