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बाईपास सर्जरी करा चुके 73 वर्षीय पूर्व बैंकर ने पावरलिफ्टिंग में जीते चार पदक

हौसला ऐसा कि उम्र को भी दे डाली चुनौती
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तेलंगाना में 73 वर्षीय एक बैंकर ने हृदय की बाईपास सर्जरी होने के बावजूद हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में चार स्वर्ण पदक जीते हैं। डीवी शंकर राव ने अपनी उम्र को चुनौती देते हुए यह संदेश दिया कि अगर अनुशासन, मानसिक शक्ति और दृढ़ संकल्प हो तो सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है।

भद्राचलम के रहने वाले डीवी शंकर राव (73) देश में ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने हृदय बाईपास सर्जरी होने के बावजूद राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और विजयी हुए। केरल के कोझिकोड में पिछले महीने ‘पावरलिफ्टिंग इंडिया’ के तत्वावधान में आयोजित इस चैंपियनशिप में एसबीआई से सेवानिवृत्त अधिकारी राव ने 83 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा की और पदक जीते। राव की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने पावरलिफ्टिंग का अभ्यास शुरू करने के छह महीने बाद ही यह पदक जीते हैं। राव ने कहा, ‘मैं रोज सुबह टहलने जाता हूं और योग करता हूं। टहलने के दौरान मुझे मेरे एक दोस्त ने मेरे शरीर को देखते हुए मुझे जिम में प्रशिक्षण लेने और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। शुरुआत में मैं थोड़ा हिचकिचा रहा था क्योंकि मेरी हृदय की बाईपास सर्जरी हुई थी।’ राव की 2012 में बाईपास सर्जरी हुई थी और उन्होंने इस साल फरवरी में पावरलिफ्टिंग का प्रशिक्षण शुरू किया था। उन्होंने कहा, ‘जिम में आने वाले कुछ चिकित्सकों ने उन्हें पावरलिफ्टिंग जारी रखने की सलाह दी लेकिन सांस लेने में तकलीफ या बेचैनी महसूस होने की स्थिति में प्रशिक्षण बंद करने को कहा।’

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राव के परिवार के सदस्यों और एक करीबी चिकित्सक ने हालांकि उनके पावरलिफ्टिंग शुरू करने को लेकर आशंका जताई थी क्योंकि वह हृदय बाईपास सर्जरी करा चुके हैं जबकि अन्य चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि उनका शरीर प्रशिक्षण के लिए अनुकूल है। राव ने कहा कि पावरलिफ्टिंग प्रशिक्षण के दौरान उन्हें कोई समस्या नहीं हुई। राव ने शुरुआत में जिला और राज्य स्तर पर पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिताएं जीतीं और बाद में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए चुने गये। राव जब प्रतियोगिता में भाग लेने के योग्य हो गए तब नियमित रूप से जिम जाने वाले एक चिकित्सक ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षित किया।

सुबह की सैर और योग को देते हैं श्रेय

राव ने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए आवेदन नहीं कर सके क्योंकि वह तुरंत भुगतान के लिए धन जुटाने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सरकार या किसी गैर-सरकारी संगठन से सहयोग मिले तो वह विश्व प्रतियोगिताओं में भाग लेने के इच्छुक हैं। राव पावरलिफ्टिंग में अपनी सफलता का श्रेय सुबह की सैर और योग की अपनी पुरानी आदत को देते हैं।

  • राव ने कहा, ‘73 साल की उम्र में कोई खेल प्रतियोगिता जीतना कोई रिकॉर्ड नहीं हो सकता। हालांकि, मैं देश का पहला व्यक्ति था, जिसने हृदय बाईपास सर्जरी के बावजूद राष्ट्रीय स्तर की पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।’ उन्होंने कहा, ‘यह भी एक तरह का रिकॉर्ड है कि मैंने पावरलिफ्टिंग में बुनियादी प्रशिक्षण शुरू करने के सिर्फ छह महीने बाद ही राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता जीत ली।’
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