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ख्वाबों का एक्स रे

धीरा खंडेलवाल ख्वाबों का एक्सरे कराया, कितने पूरे, रहे अधूरे, कितने टूट गए तिल-तिल, खर्चे का न हिसाब लगाया, जब मैंने ख्वाबों का एक्सरे कराया। अजब-गजब था यंत्र बंधुवर, बोला शून्य करो मन-गह्वर, अचल रुको और रोको सांस, भीतर बचे...
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धीरा खंडेलवाल

ख्वाबों का एक्सरे कराया,

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कितने पूरे, रहे अधूरे,

कितने टूट गए तिल-तिल,

खर्चे का न हिसाब लगाया,

जब मैंने ख्वाबों का एक्सरे कराया।

अजब-गजब था यंत्र बंधुवर,

बोला शून्य करो मन-गह्वर,

अचल रुको और रोको सांस,

भीतर बचे न एको आस,

जान सकेंगे तब ही इतिहास,

कितने महल, मलबा है कितना,

कितना है रायता फैलाया,

जब मैंने एक्सरे कराया।

कच्चे-पक्के ख्वाब के खंडहर,

साए में डर के थे भीतर,

पहचान कहीं न हो उजागर,

तानो की फिर होगी भरमार,

धूम्र क्षितिज पर कहर गिराया,

जब मैंने ख्वाबों का एक्सरे कराया।

शक्ति हीन कुछ पड़े हुए थे,

मन मार कर गड़े हुए थे,

धूल धूसरित बेदम थे कुछ,

लड्डू का चूरा था बिखरा,

जो मन ही मन फूट गए थे,

कुछ अल्पायु, कई दीर्घायु,

कुछ सतत सनातन में थे ठहरे,

कांटों की चादर वाले कुछ ख्वाब,

छलनी करते मन और काया,

जब मैंने एक्सरे कराया।

बोला यंत्र, नहीं दिखेगी

टूटन दिल की परतों की,

बड़ी भीड़ है तुझमें भाई,

सपनों की लंबी तक़रीर,

टूटे-फूटे सुघड़ सुनहरे,

नए पुराने ताज़े ताखीर,

हंसी सजाएं चेहरे पर,

कैसे ये जीवन रे बिताया?

जब मैंने ख्वाबों का एक्सरे कराया।

बिन पानी के डूब

पानी नहीं फिर भी डूब जाते हैं,

बड़े अजूबे हैं।

घटते हैं, भरमाते हैं,

कैसे किस्मत डूब जाती है।

बिन पानी डूबती उतराती है,

डूबते को तिनके का सहारा,

पर डूबने को पानी बिन नजारा।

शरम कुछ ऐसे सर से,

कोई चुल्लू भर पानी को तरसे।

कैसे डुबा देता है बेटा,

बाप का नाम।

बिन नदिया, बिन ताल,

लुटिया डूबी या डुबाई गई।

कुछ बातें समझदारी से छुपाई गईं,

पानी उतर जाए,

तो कलई खुल जाती है।

बाढ़ भी पानी को बहा ले जाती है।

डूब जाता है सूखे में ही

किस्मत का सितारा।

बड़ा अजूबा है देखो,

धरती के पोर पर डूबता

सूरज प्यारा।

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