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बालमन की कल्पनाओं को शब्द

पुस्तक समीक्षा

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घमंडीलाल अग्रवाल

हिन्दी एवं पंजाबी भाषा में कविता, आलोचना आदि की कई पुस्तकों के रचयिता सुदर्शन गासो का प्रथम बाल कविता संग्रह है ‘गीत सुबह का गाएं पक्षी।’ कृति में बाल मनोविज्ञानुकूल 50 छोटी-छोटी मनोरंजक, कल्पना प्रधान एवं शिक्षाप्रद कविताएं हैं।

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कृति में अधिकांश कविताएं ऐसी हैं जिनमें कल्पना का पुट है। इनमें प्रमुख हैं :- ‘मनचाहे सूरज बन जाऊं’, ‘मन चाहे पानी बन जाऊं’, ‘मनचाहे फूल बन जाऊं’, ‘मन चाहे बादल बन जाऊं’, ‘मन चाहे पंछी बन जाऊं’, ‘मेरे मन में रहती नदियां’, ‘फूल बन कर महक फैलाऊं’, ‘गीत सुबह का गाएं पक्षी’, ‘गीत प्यार के गाएंगे’, ‘मेरे घर में आए बहार’, ‘मैं नदियों का प्यार बनूंगा’ आदि। ‘मन चाहे पानी बन जाऊं’ कविता से कुछ पक्तियां देखिए :-

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मनचाहे पानी बन जाऊं

पानी बनकर प्यास बुझाऊं

प्रतिपल आगे बढ़ता जाऊं

खेतों में जीवन उपजाऊं।

कुछ कविताओं में प्रकृति-चित्रण है, जैसे ‘पेड़ों का जीवन है प्यारा’, ‘सितारों के संग गाएं’, ‘धरती मां’, ‘हवा’, ‘खेत’, ‘पर्वत’। ‘तितली आई’ तथा ‘मोर’ जीव-जंतुओं पर आधारित कविताएं हैं। ‘मेहनत रंग लाती है’, ‘आओ मिल कर गाएं गीत’, ‘फूल की तरह मुस्काओ बच्चो’, ‘पुस्तक प्रेम’ व ‘छोटी बातें’ शिक्षाप्रद कविताएं हैं। संग्रह में ईश्वर, मां, देश आदि विषयों पर कविताएं रखी गयी हैं। कहीं-कहीं भावों व पंक्तियों की पुनरावृत्ति भी देखने को मिलती है। एक कविता दो बार आ गयी है।

पुस्तक : गीत सुबह का गाएं पक्षी कवि : सुदर्शन गासो प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली पृष्ठ : 64 मूल्य : रु. 99.

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