कमलेश भारतीय
अर्चना कोचर हरियाणा की चर्चित लेखिका है। हाल ही में उनका उपन्यास आया है ‘किन्नर कथा : एक अंतहीन सफर’। शीर्षक से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह उपन्यास किन्नर समाज की सामाजिक स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए लिखा गया है। प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुद्गल का इसी समाज पर लिखा उपन्यास नालासोपारा खूब ध्यान आकर्षित कर चुका है।
अर्चना कोचर ने दोनों पहलू उठाये हैं उपन्यास में। पुराने समय के किन्नर जो सोना मां जैसे रूपा, मुरारी जैसे हैं तो नये समय के किन्नर बेरोजगारी के मारे नवयुवक जो किन्नर है ही नहीं और रेलगाड़ियों में नकली किन्नर बनकर लोगों से न केवल पैसे लेते हैं बल्कि छेड़छाड़ करने पर उतारू हो जाते हैं।
मालती जो इस उपन्यास की नायिका है बचपन से ही किन्नर समाज के प्रति बहुत करुण भाव रखती है और काॅलेज छात्रा होने के बावजूद किन्नर गुरु मां सोना को मिलने डेरे पर जाती है, जिससे परिवारजन बुरी तरह खफा हो जाते हैं। उधर, रूपा और मुरारी की प्रेम कथा का क्या हुआ, यह सब जानकारी प्रेम किन्नर आकर हॉस्टल में देती रहती है, लेकिन यहां रूममेट नीरू शोर मचा देती है कि मालती की कोई रिश्तेदार किन्नर है। जैसे-तैसे काॅलेज की पढ़ाई पूरी कर दिल्ली में मालती एम.फिल. करने पहुंचती है और आलोक से प्यार कर बैठती है, जिसे परिवार स्वीकार नहीं करता और मालती कोर्ट मैरिज कर लेती है।
समय पंख लगाये उड़ता जाता है और मालती के बेटे चिराग की शादी आ जाती है तो दो किन्नर मिलने आते हैं और वे होते हैं रूपा और मुरारी। इतने सालों बाद पता चलता है कि सोना मां और उनके साथ प्रेमा तक सब विदा हो चुकीं। अब डेरे के गुरु रूपा मुरारी हैं और वे समाज कल्याण के कार्यों में जुटे रहते हैं। सोना देवी विद्यापीठ तक चला रही है। सब वहां शिक्षा, संगीत और नृत्य सीखते हैं। आज थर्ड जेंडर को पढ़ने ही नहीं, सरकारी नौकरी में भी सुविधाएं मिल रही हैं। थर्ड जेंडर पर ध्यान दिलाने से इनकी सामाजिक स्थिति में बदलाव आ रहा है।
पुस्तक : किन्नर कथा – एक अंतहीन सफर लेखिका : अर्चना कोचर प्रकाशक : मोनिका प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 400.