अहीरवाल के दिल रेवाड़ी की धड़कनों का शब्दांकन
‘रेवाड़ी से बोल रहा हूं’ विपिन सुनेजा ‘शायक़’ द्वारा लिखित बहुआयामी कृति है, जिसमें रेवाड़ी के इतिहास, संस्कृति, सैन्य परंपरा, राजनीति, लोकजीवन, खान-पान और पर्व-त्योहारों का सम्यक् चित्रण किया गया है। लेखक ने साहित्य, कला, रंगमंच, पत्रकारिता जैसे प्रेरक क्षेत्रों से जुड़े विशिष्ट व्यक्तित्वों और अपने गुरुजनों से जुड़ी स्मृतियों को भी हृदय से उकेरा है। यह रेवाड़ी की आत्मा को शब्दों में पकड़ने का प्रयास है।
दिल्ली से 82 कि.मी. दूर स्थित रेवाड़ी, वीर योद्धा हेमचंद्र विक्रमादित्य की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, जिन्होंने 22 युद्ध जीतकर बिना राजवंशीय पृष्ठभूमि के दिल्ली का सिंहासन प्राप्त किया। यह नगर बाजरा, ग्वार, ऊंटगाड़ियों, तिल्ला जूतियां, ठठेरे, वास्तु स्मारक और हीरवाटी बोली जैसी सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है।
पुस्तक में समाहित विविधवर्णी रंगों से युक्त तेईस के तेईस अध्याय ज्ञानवर्धक एवं समाज-हित की इच्छा से आप्लावित हैं। इनमें अहीरवाल का दिल कहे जाने वाले रेवाड़ी के लोकमन की सच्चे मायनों में प्रस्तुति हुई है। रेवाड़ी की उत्पत्ति को लेकर निश्चित जानकारी नहीं है; जनश्रुति इसे बलराम की ससुराल मानती है, जबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार इसका नाम ‘रेह’ (खार मिश्रित बलुआ भूमि) से पड़ा और इसकी बसाहट लगभग 1100 वर्ष पुरानी मानी जाती है।
सोलहवीं शती के मध्य रेवाड़ी में राव जागीर की नींव पड़ी। सन् 1555 ई. में तिजारा के अहीर सरदार रूड़ासिंह ने हुमायूं को पनाह देकर उसकी खोई हुई सत्ता प्राप्त करने में उसकी मदद की थी। उसके बदले में हुमायूं ने खुश होकर उसे रेवाड़ी के निकट एक जंगल जागीर बख्शी थी। रूड़ासिंह ने वहां एक गढ़ी बनवाई और बोलनी आदि दो-तीन गांव बसाए। रूड़ासिंह के प्रपौत्र राव नंदराम ने जागीर का मुख्यालय गढ़ी बोलनी से रेवाड़ी स्थानांतरित किया। जागीर के कर्ता-धर्ताओं में राव नंदराम, राव बालकिशन, राव गूजरमल, राव रामसिंह, राव तेजसिंह, मित्रसेन अहीर एवं राव गोपालदेव का नाम इनके साहस की खातिर स्मरणीय है।
सन् 1880 में स्वामी दयानंद ने रेवाड़ीवासियों को आर्य समाज और गोशाला उपहार स्वरूप दीं। रेवाड़ी के सर शादीलाल पंजाब उच्च न्यायालय के पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश बने। सन् 1961 में भगवानदास भुटानी के बुलावे पर अभिनेता पृथ्वीराज कपूर रेवाड़ी आए और उन्होंने ‘अंडर सेक्रेटरी’ नाटक पेश करने वाले कलाकारों की हिम्मत बढ़ाई। रेवाड़ी की संतोष यादव और सुनीता चोकन ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा। रेवाड़ी के भगवद्भक्ति आश्रम समेत रानी की ड्योढ़ी, रामपुरा महल, स्मारक छतरियां, भव्य तालाब तथा प्राचीन मंदिर दर्शनीय एवं ऐतिहासिक महत्व के हैं।
पुस्तक : रेवाड़ी से बोल रहा हूं लेखक : विपिन सुनेजा ‘शायक़' प्रकाशक : समदर्शी प्रकाशन, साहिबाबाद, उ.प्र. पृष्ठ : 124 मूल्य : रु़. 250.