Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

सरलता में कालजयी रचना का सुख

पुस्तक समीक्षा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

किसी भी साहित्यिक कृति का अनुवाद तभी सफल हो पाता है जब शाब्दिक अनुवाद के साथ-साथ मूल कृति का भावानुवाद भी यथावत हो। इस प्रकार देखा जाए तो अनुवाद मूल लेखन से कहीं अधिक एक जटिल एवं श्रमसाध्य कार्य है।

समीक्ष्य पुस्तक ‘आषाढ़ का प्रथम दिवस’ महाकवि कालिदास की अन्यतम कृति ‘मेघदूतम‍्’ का सरल काव्यानुवाद है और अनुवादक पृथीपाल सिंह इसमें खरे उतरते दिखाई देते हैं। जिस भावना से उन्होंने इस संस्कृत में लिखी गई मूल पुस्तक का अनुवाद किया है, वह श्लाघ्य है। मूल भावना, शैली, शिल्प व सौंदर्य को बरकरार रखते हुए इसे हिंदी के सरल शब्दों में पिरोकर उन्होंने कालजयी ‘मेघदूतम‍्’ को पठनीय बना दिया है। लेखक के अनुसार प्रत्येक छंद व शब्द केवल अर्थ का अनुवाद नहीं हैं, बल्कि वे उस भावनात्मक प्रवाह का प्रतिबिंब हैं जो मूल संस्कृत रचना में स्पंदित होता है।

Advertisement

उल्लेखनीय है कि ‘मेघदूतम‍्’ यक्षिणी के विरह में रचित यक्ष की प्रेम-वेदना है जो बादलों के माध्यम से उद्घाटित है। कुबेर द्वारा अलकापुरी से निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास कर रहे होते हैं और जब वर्षाकाल का शुभारंभ होता है तो उसे अपनी प्रेमिका की यादें व्यथित करने लगती हैं। आषाढ़ के प्रथम दिवस से उमड़ते मेघों के सहारे वे अपनी वेदना विरहणी नायिका को संप्रेषित करते हैं। अनुवाद में काव्यात्मक लय का तुकबंद प्रवाह बखूबी निहित है। यथा, ‘सुनो जल्द! उस समय प्रिया यदि, निद्रा का सुख लेती होगी, किसी तरह शायद मुझ प्रेमी से, स्वप्न में ही वह मिलती होगी।’

Advertisement

पुस्तक का आवरण कांगड़ा कलम के सिद्धहस्त कलाकार पद्मश्री विजय शर्मा की तूलिका से नि:सृत हुआ है और प्राक्कथन पूर्व मंत्री और साहित्यकार शांता कुमार ने लिखा है।

पुस्तक : आषाढ़ का प्रथम दिवस लेखक : पृथीपाल सिंह प्रकाशक : फर्नट्री पब्लिशिंग, मोहाली पृष्ठ : 160 मूल्य : रु. 350.

Advertisement
×