प्रेम चंद विज
देश के प्रहरी पुस्तक के लेखक मेजर डाॅ. वेदप्रकाश नागपाल हैं, जिनके पास शिक्षा और सेना का अनुभव है। पुस्तक के आवरण पर प्रकाशित फोटो ही बता देती है कि ये पुस्तक देश के वीर सैनिकों पर है। पुस्तक देश के प्रहरी चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली के परमवीर चक्र, महावीरचक्र और वीरचक्र विजेताओं की शौर्य गाथा तथा 4 से 5 पीढि़यों से देश की रक्षा में जीवन समर्पण करने वालों की सच्ची और वीर दास्तां प्रस्तुत की गई है। बारह अध्यायों में सिमटी इस पुस्तक के हर एक पात्र में वीरता, निडरता और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने की आतुरता के कारण इन शूरवीरों की गाथा सभी पाठकों और युवाओं में देश प्रेम की भावना भर देगी।
पुस्तक के बारे में पंजाब के पूर्व राज्यपाल ले. जनरल बीकेएन छिब्बर ने लिखा है कि डाॅ. नागपाल ने भारतीय सैनिकों द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाये गये पराक्रम का बहुत अच्छे ढंग से उल्लेख किया है। इन लड़ाइयों में भाग लेने वाले वीर सैनिकों की बहादुरी तथा पीढ़ी -दर-पीढ़ी सेना में कार्य करने वाले अधिकारियों की जानकारी दी गई है। यह पुस्तक युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगी।
पुस्तक का पहला अध्याय परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन विक्रम बतरा पर है। विक्रम बतरा ने बचपन में ही यह बता दिया था कि वीरता तो उनकी रग-रग में बसी है। पालमपुर में एक बच्ची चलती बस की खुली खिड़की से अचानक नीचे गिर गई, बस में बैठे 15 वर्ष के एक बालक ने उसी समय बस से छलांग लगा दी और नन्ही बच्ची को बचाने में कामयाब हो गया। यह बहादुर बालक कोई और नहीं बल्कि विक्रम बतरा थे। 18 हजार फुट ऊंची दुर्गम पहाडि़यों की चोटियों पर दुश्मन द्वारा फेंके हैंड ग्रेनेड से घायल हुए अपने साथियों की जान बचा कर और पांच शत्रु सैनिकों को मारने के पश्चात वीर गति को प्राप्त हो गये थे। उनकी अद्वितीय बहादुरी देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया। महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी लोंगोवाला युद्ध के हीरो माने जाते हैं। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का जन्म एक किसान परिवार में 22 नवंबर, 1940 को हुआ। लोंगोवाला राजस्थान के जैसलमेर जिले में है। वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान मेजर चांदपुरी ने दुश्मन पर जबरदस्त हमला कर उनको भारी नुकसान पहुंचाया और टैंकों को भी ध्वस्त कर दिया। इस प्रकार उन्होंने बहादुरी का परिचय दिया, इसके लिए उन्हें महावीर चक्र दिया गया। मेजर बलजीत सिंह रंधावा को भी मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। रंधावा का जन्म अजनाला, जिला अमृतसर में हुआ। वर्ष 1965 की लड़ाई में रंधावा ने दुश्मन को खदेड़ा था।
मेजर सरदार मलकीयत सिंह बराड़ को भी मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इनका जन्म 15 अगस्त, 1918 को जिला मोगा, पंजाब में हुआ। इन्होंने फरवरी, 1939 मे जम्मू-कश्मीर में दुश्मनों के बंकर तबाह किये थे और पूरी ताकत के साथ मुकाबला कर खदेड़ दिया था। इनकी बहादुरी को देखते हुए इन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
पुस्तक में वीर चक्र विजेता कर्नल रणवीर सिंह की वीरता का भी उल्लेख मिलता है। इनकी पांच पीढि़यां सेना में सेवा कर चुकी हैं। बि्रगेडियर हरवंत सिंह की भी पांच पीढि़यां सेना में सेवा कर चुकी हैं। इसी तरह कर्नल गुरसेवक सिंह की चार पीढि़यों ने सेना में कार्य करते हुए देश भक्ति का परचम लहराया है।
पुस्तक : देश के प्रहरी लेखक : मेजर (डाॅ.) वेदप्रकाश नागपाल प्रकाशक : गोयल प्रेस, मनीमाजरा, चंडीगढ़ पृष्ठ : 210 मूल्य : रु. 330.