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रिश्तों की दरारों में झांकती कहानियां

पुस्तक समीक्षा

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डॉ. सुदर्शन गासो

कमल कपूर एक बहुविधा लेखिका हैं। उनके लेखन का दायरा कविता, उपन्यास, कहानी, बालगीत और लघुकथा तक फैला हुआ है। संपादन और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी लेखनी का जादू चलाया है। उन्हें देश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है।

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विचाराधीन कथा-संग्रह ‘उम्र की बिसरी गली’ उनका नवीनतम संग्रह है। इसमें कथाकार ने अपने बचपन से लेकर जीवन के विभिन्न पड़ावों तक के अनुभवों को विभिन्न पात्रों के माध्यम से रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। लगभग सभी कहानियां एक्शन से भरपूर हैं। घटनाएं इस प्रकार घटित होती हैं कि पाठक की उत्सुकता अंत तक बनी रहती है। लेखिका को जीवन से कहानी चुनना, उसे गढ़ना, सुनाना और उसमें अर्थ भरना बखूबी आता है।

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इस कथा-संग्रह में कुल पंद्रह कहानियां संकलित हैं, जो मूलतः मध्यवर्गीय परिवारों के जीवन के ताने-बाने पर आधारित हैं। इन कहानियों के पात्र अपने-अपने जीवन में खुशियाँ तलाशते हुए दिखाई देते हैं। जीवन की भाग-दौड़ और ईमानदारी के गौण हो जाने के कारण आपसी रिश्तों में दरारें पड़ जाती हैं, और खुशियां हमारे हाथों से रेत की तरह फिसलने लगती हैं। ऐसे भावनात्मक क्षणों में लेखिका की शैली काव्यमयी हो जाती है। इस प्रकार, उन्होंने जीवन की खुशियां, ग़म और उतार-चढ़ाव को अपनी कथाओं में बखूबी अभिव्यक्त किया है।

‘अनमोल’ कहानी बाल-शोषण जैसे गंभीर विषय पर लिखी गई है, जिसमें इस कुप्रथा के विरुद्ध बोलने वालों को भी चित्रित किया गया है।

‘अम्मा, मैं बिटिया तेरी’ कहानी एक घर से भागी हुई लड़की की है, जिसे सफर के दौरान एक आंटी समझा-बुझाकर घर भेज देती हैं।

‘अब कुसुमी खुश है’ झोपड़पट्टी में रहने वाली लड़की ‘कुसुमी’ की कहानी है। इसमें उसका मंगेतर सुखबीर उसके साथ ज्यादती करता है और विवाह करने से इनकार कर देता है, लेकिन एक सामाजिक संस्था उसकी समस्या का समाधान निकालती है।

‘सिर्फ एक दिन’ नामक कहानी मोबाइल के दुष्प्रभावों और जीवन की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती है। समग्र रूप में यह कहानी-संग्रह स्वागत योग्य है।

पुस्तक  : उम्र की बिसरी गली कथाकार : कमल कपूर प्रकाशक : अमन प्रकाशन, उत्तम नगर, नयी दिल्ली पृष्ठ : 152 मूल्य : रु. 425.

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