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भय और उम्मीद की कहानियां

पुस्तक समीक्षा
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तेजेन्द्र पाल सिंह

पुस्तक ‘प्लाज्मा’ साहित्यकार इमतियाज ग़दर का वर्ष 2024 में प्रकाशित कहानी-संग्रह है। इस कहानी-संग्रह की अधिकांश कहानियां कोरोना काल की पहली लहर की भयावहता की याद दिलाती हैं।

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कहानी ‘प्लाज्मा होल्ड रखना’ एक प्रकार से शीर्षक कहानी है, जिसमें एक कोरोना-पीड़ित कर्मचारी कोरोना सेंटर से उपचार करवाकर ठीक हो जाता है। जब तक वह उपचाराधीन रहता है, तब तक उसे सबकी उपेक्षा झेलनी पड़ती है। ठीक होने के बाद, कोरोना से आतंकित कुछ प्रभावशाली लोग उससे कोरोना-पीड़ित होने के तुरंत बाद ही अपने लिए प्लाज्मा होल्ड करने का आग्रह करते हैं।

कहानी-संग्रह का शीर्षक ‘प्लाज्मा’ सटीक प्रतीत होता है क्योंकि कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा थेरैपी का भी प्रयोग किया गया था। संग्रह की अधिकांश कहानियों में कोरोना के कारण विवाह का टल जाना, अन्य रोगियों को उपचार की सुविधा न मिल पाना तथा मजदूरों का पलायन जैसे विषय देखने को मिलते हैं।

कुछ कहानियों में लेखक के अंतर्मन का द्वंद्व, मतदान केंद्र का दृश्य, हिंसक जानवरों का आतंक, अभावग्रस्त जीवन और बेटी के प्रति सकारात्मक सोच भी अभिव्यक्त हुई है।

कहानियों की भाषा और शैली सरल है। इनमें झारखंडी भाषा के संवाद (हिंदी अनुवाद सहित) पढ़ने को मिलते हैं। हालांकि, कहानियों में कुछ टंकण संबंधी त्रुटियां हैं और कुछ कहानियों के शीर्षक सामान्य प्रतीत होते हैं। फिर भी, ये कहानियां पाठकों को बांधे रखती हैं। ‘प्लाज्मा’ एक हृदय-स्पर्शी कहानी-संग्रह है।

पुस्तक : प्लाज्मा लेखक : इमतियाज ग़दर प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर, राजस्थान पृष्ठ : 144 मूल्य : रु. 200.

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