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बदलाव और संघर्ष की कथाएं

पुस्तक समीक्षा

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युवा लेखक कैफ़ी हाशमी द्वारा लिखित ‘शिया बटर’ कहानी-संग्रह की सभी सात कहानियां फ़ैंटसी और यथार्थ के ताने-बाने से बुनी गई हैं। लीक से हटकर अपनाई गई लेखन शैली कहीं पाठक को अभिभूत करती है तो कहीं चमत्कृत।

दुनिया का पहला और आखिरी सवाल कहानी मानो चीख-चीखकर कह रही है—बदलाव! बदलाव! बदलाव! दुनिया की बेहतरी के लिए हर हाल में बदलाव हो। इस क्रम में कुछ टूटता है तो टूटने दो, कुछ दूर ही सही, मगर ढर्रे से हटकर चलो और दुनिया को वैसा बना दो, जैसा इसे होना चाहिए।

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एक स्थान पर वे लिखते हैं–मैंने एक हाथ ज़मीन पर रखा और एक झटके में ज़मीन को उलटा दिया। अब आसमान नीचे था और ज़मीन ऊपर। शुरुआती दिनों में सब ठीक था, पर सम्पन्न लोग इसे सहन नहीं कर पा रहे थे। ऊंची-ऊंची इमारतें अब नीचे झूल रही थीं और झोंपड़पट्टी ऊपर।

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शीर्षक कहानी ‘शिया बटर’ में अपने जल, जंगल, ज़मीन को बचाने को लेकर आदिवासियों के संघर्षों, चुनौतियों का जीवंत चित्रण है।

‘बंकर’ कहानी में रहस्य, रोमांच, विज्ञान, मनोविज्ञान, संवेदनात्मक छवियों का अनूठा संसार है।

‘कैफ़े कॉफ़ी डे’ कहानी अति प्रभावी बन पड़ी है। आत्मकथात्मक शैली, मानवेतर पात्रों की दमदार उपस्थिति, सामाजिक-प्रशासनिक खामियों का व्यंग्यपूर्ण प्रस्तुतीकरण, ताजगीपूर्ण भाषा, कथानक का घुमावदार रास्तों से गुजरना, गहन तमस में उजालों को तरजीह पाठकों को जोड़ती है।

पुस्तक : शिया बटर लेखक : कैफ़ी हाशमी प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज पृष्ठ : 167 मूल्य : रु. 299.

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