मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

प्रतिमाएं

लघुकथा
Advertisement

सुकेश साहनी

उनका काफिला जैसे ही बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के नजदीक पहुंचा, भीड़ ने उनको घेर लिया। उन नंग-धड़ंग अस्थिपंजर-से लोगों के चेहरे गुस्से से तमतमा रहे थे। भीड़ का नेतृत्व कर रहा युवक मुट्ठियां हवा में लहराते हुए चीख रहा था, ‘मुख्यमंत्री....मुर्दाबाद! रोटी, कपड़ा दे न सके जो, वो सरकार निकम्मी है! प्रधानमंत्री!....हाय! हाय!’ मुख्यमंत्री ने जलती हुई नजरों से वहां के जिलाधिकारी को देखा। आनन-फानन में प्रधानमंत्री के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के हवाई निरीक्षण के लिए हेलीकॉप्टर का प्रबन्ध कर दिया गया। वहां की स्थिति संभालने के लिए मुख्यमंत्री वहीं रुक गए।

Advertisement

हवाई निरीक्षण से लौटने पर प्रधानमंत्री दंग रह गए। अब वहां असीम शांति छाई हुई थी। भीड़ का नेतृत्व कर रहे युवक की विशाल प्रतिमा चैराहे के बीचोंबीच लगा दी गई थी। प्रतिमा की आंखें बंद थीं, होंठ भिंचे हुए थे और कान असामान्य रूप से छोटे थे। अपनी मूर्ति के नीचे वह लगभग उसी मुद्रा में खड़ा हुआ था। नंग-धड़ंग लोगों की भीड़ उस प्रतिमा के पीछे एक कतार के रूप में इस तरह खड़ी हुई थी मानो अपनी बारी की प्रतीक्षा में हो। उनके रुग्ण चेहरों पर अभी भी असमंजस के भाव थे।

प्रधानमंत्री सोच में पड़ गए थे। जब से उन्होंने इस प्रदेश की धरती पर कदम रखा था, जगह-जगह स्थानीय नेताओं की आदमकद प्रतिमाएं देखकर हैरान थे। सभी प्रतिमाओं की स्थापना एवं अनावरण मुख्यमंत्री के कर कमलों से किए जाने की बात मोटे-मोटे अक्षरों में शिलालेखों पर खुदी हुई थी। तब वे लाख माथापच्ची के बावजूद इन प्रतिमाओं का रहस्य नहीं समझ पाए थे, पर अब इस घटना के बाद प्रतिमाओं को स्थापित करने के पीछे का मकसद एकदम स्पष्ट हो गया था। राजधानी लौटते हुए प्रधानमंत्री बहुत चिंतित दिखाई दे रहे थे।

दो घंटे बाद ही मुख्यमंत्री को देश की राजधानी से सूचित किया गया-‘आपको जानकर हर्ष होगा कि पार्टी ने देश के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं विशाल प्रदेश की राजधानी में आपकी भव्य, विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्रतिमा का अनावरण पार्टी-अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री के कर-कमलों से किया जाएगा। बधाई!’

Advertisement
Show comments