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संवेदना की समझ जगाती लघुकथाएं

पुस्तक समीक्षा
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सुभाष रस्तोगी

डॉ. रामनिवास ‘मानव’ एक प्रतिष्ठित कवि, बाल साहित्यकार, लघुकथाकार, चिंतक और शोधक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी कृतियों की संख्या पचास से अधिक है, जिनमें अठारह काव्य कृतियां, आठ बाल काव्य संग्रह, चार लघुकथा संग्रह, चार शोध समीक्षात्मक ग्रंथ और दस संपादित कृतियां शामिल हैं। उनके लेखन का प्रभाव देश-विदेश की 70 प्रमुख भाषाओं में अनूदित रचनाओं के रूप में देखा जा सकता है। डॉ. मानव ने लघुकथा विधा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेष रूप से बीसवीं सदी के आठवें दशक में जब हरियाणा के लघुकथाकारों ने हिंदी लघुकथा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया।

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उनका चौथा लघुकथा संग्रह ‘जड़ कटा पेड़ तथा अन्य लघुकथाएं’ 99 लघुकथाओं का संकलन है, जो जीवन के विविध पहलुओं और मानवीय संवेदनाओं को बेहद सटीक रूप से प्रस्तुत करती हैं। इन लघुकथाओं में हर पात्र अपनी विशिष्टता के साथ उभरता है और पाठकों से गहरे संबंध स्थापित करता है। इन लघुकथाओं की विशेषता उनकी लघुता में छिपी गहरी कथा में है। अधिकांश लघुकथाएं एक से डेढ़ पृष्ठ में सिमटी हुई हैं, फिर भी वे एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं।

संग्रह की शीर्षक लघुकथा ‘जड़ कटा पेड़’ खासतौर पर प्रभावशाली है, जो उस दर्द को व्यक्त करती है जो उन लोगों के जीवन में होता है, जिनकी जड़ें, यानी उनका पुश्तैनी घर और भूमि, उनसे छिन जाती हैं। ‘खिलौने’ लघुकथा में एक व्यक्ति का अपने घर के सस्ते खिलौनों के साथ अपने बच्चों के साथ बिताए गए समय की सार्थकता को महसूस करना और धीर साहब के महंगे खिलौनों से भरे रैक के बावजूद उनकी असली खुशी की तलाश करना एक गहरी मानसिकता का चित्रण करता है।

इसके अलावा, ‘दूसरे बेटे का घर’ जैसी लघुकथा में वृद्धा के साथ उनके बेटे द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार को उजागर किया गया है, जब वह कोविड सेंटर से लौटी अपनी वृद्ध मां के लिए दरवाजा नहीं खोलता। इस कथा में एक ऑटो चालक का संवेदनशील संवाद मानवीय संवेदना की अद्भुत अभिव्यक्ति है।

डॉ. मानव की अन्य विशिष्ट लघुकथाएं, जैसे ‘घर लौटते कदम’, ‘अब लौटे श्रीराम’, ‘एक अभिमन्यु और’, ‘शांति के द्वीप’, ‘हो चुका फैसला’, ‘सोने की चेन’ और ‘धन्यवाद मुद्रा’ जीवन की गहरी सूक्तियों के रूप में प्रस्तुत होती हैं। ये लघुकथाएं शब्दों की संक्षिप्तता में गहरी सोच और जीवन के विविध पहलुओं का व्यापक बिंब रचती हैं, जो पाठकों को गंभीर चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं और उनके भीतर मानवीय संवेदनाओं के प्रति समझ और सहानुभूति को भी बढ़ाती हैं।

पुस्तक : जड़ कटा पेड़ तथा अन्य लघुकथाएं लेखक : रामनिवास 'मानव' प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 158 मूल्य : रु. 300.

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