योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
हिंदी और अंग्रेज़ी में समान रूप से अपनी छटपटाहट को वाणी देने वाली कवयित्री रश्मि बजाज की कुल 62 छोटी-बड़ी कविताओं का संकलन है ‘कहत कबीरन’, जिसमें दर्शन भी है, आक्रोश भी, व्यंग्य का तीखापन भी है तो चिंतन का स्पर्श भी। कवयित्री की भाषा कुरेदती है, उसकी शैली कहीं-कहीं चुभती है, तो कहीं-कहीं सुकून भी देती है।
कबीरन की भूमिका में रश्मि लिखती हैं :- ‘किसी भी मठ अथवा ‘वाद’ से परे इस संग्रह की कविताएं मेरा संवाद है- स्वयं से, सृजन से, समाज से, आप सबसे।’ रश्मि की कविता में शब्द जैसे जड़ दिए जाते हैं । ‘जाने कब से’ कविता का दर्शन मन को छू लेता है :-
‘खेल रहे हैं/ सागर तट पर/ बहुरंगी कंकर-पत्थर से मुग्ध, आह्लादित/ हम सब बच्चे। देख रही हैं/ राह हमारी/ गहरे सागर-तल पैठी अनमोल सीपियां/ जाने कब से!’
रश्मि की ये पंक्तियां पाठक का हृदय छू लेने की सामर्थ्य रखती हैं। एक और कविता ‘बगावत’ का आक्रोश भीतर तक कुरेद जाता है और लगता है कि कवयित्री के साथ हमें भी बगावत करनी ही चाहिए :-
‘बरसती हों/ जब हरसू/ कातिलाना नफ़रतें/ तो प्रेम पर/ कविता लिखना/ रूमानियत नहीं/ एक बगावत है। ये बगावत/ मेरे दौर की/ लाज़मी जरूरत है।’
‘कहत कबीरन’ संग्रह की ‘फिर आएं जीजस’, ‘किस दर जाऊं’, ‘सुनो तस्लीमा’, ‘मैंने ख़्वाब देखा है’ और ‘मुबारक’ जैसी कविताएं विचारोत्तेजक और पठनीय हैं। ‘कहत कबीरन’ की कवयित्री रश्मि बजाज की कविता ‘आखेटक’ कल से आज तक ‘स्त्री की व्यथा’ को जैसे मूर्तिमंत कर देती हैं :-
‘घर के भीतर/ घर के बाहर/ शंकित, कातर/ हर पल चौकन्नी/ ज्यों हिरणी/ लगती फिर-फिर/ बेबस, बेकस। बसा है स्त्री की/ आदिम-स्मृति में/ क्रूर आखेटक।’
रश्मि बजाज के इस संग्रह की कविता ‘गुफ्तगू भगत सिंह से’ आज के समाज की सच्चाई को उकेरती लगी है, जिसमें अंत तक आते-आते एक क्रूर विद्रूप जैसे आहत-सा करने लगता है :-
‘आहत-मना मैंने/ आज निश्चय कर/ विस्तार से/ सभाओं में, मंचों से/ किया है साझा- तुम्हारा दर्शन/ तुम्हारा स्वप्न/ तुम्हार दृष्टि। और अभी-अभी/ एक नए उगते/ युवा क्रांतिकारी/ छात्र-नेता ने/ पूछा है मुझसे :-
‘न्यों तो बतलाओ
यो भगत सिंह
कौण जात था जी?’
दृढ़तापूर्वक कह सकते हैं कि इस ‘कहत कबीरन’ कविता संग्रह की कविताएं हमारे समाज के चिंतन का आईना हैं और पाठकों को उद्वेलित करने की क्षमता से परिपूर्ण हैं।
पुस्तक : कहत कबीरन (कविता संग्रह) कवयित्री : रश्मि बजाज प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 120 मूल्य : रु 280.