संवेदनशील विषयों पर अधिकार से कलम चलाते मनोज कुमार ‘प्रीत’ ने करीब डेढ़ दर्जन पुस्तकें पाठकों को सौंपी हैं, जिसमें कथा संग्रह, संपादित पुस्तकें, यात्रा संस्मरण आदि शामिल हैं। हाल ही में प्रकाशित समीक्ष्य कृति कथा संग्रह ‘कुछ तो कहा होता’ में पंद्रह कहानियां संकलित हैं। शीर्षक कहानी कुछ तो कहा होता, एक ऐसी अधूरी प्रेमकथा की टीस है, जो अनकही रह गई लेकिन प्रेम अहसास जीवंत रहे। वहीं संकलन की पहली कहानी ‘मानसी वर्सिज इंद्र’ दंभ,गलतफहमी के चलते वैवाहिक रिश्तों की टूटन और कोर्ट-कचहरी के चक्कर से उपजी त्रासदी को दर्शाती है। अलगाव की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मानसी को अहसास होता है कि वह अब अकेली है, इन सालों में उसने बहुत कुछ खोया है।
पुस्तक : कुछ तो कहा होता कथाकार : मनोज कुमार ‘प्रीत’ प्रकाशक : प्रीत साहित्य सदन, लुधियाना पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 200.