मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

कहानियों में समय की संवेदना

पुस्तक समीक्षा
Advertisement

बदलते हालात और इस बदलाव के साथ रचना का एक नया संसार। इसी तरह की कहानियों का संग्रह है ‘सपनों के ढाई घर’। लेखिका हैं रश्मि शर्मा। कहानी संग्रह में अनेक मनोभाव हैं, अलग-अलग तरह की व्यथाएं हैं। कुल मिलाकर 10 कहानियों के इस संग्रह में संभावनाएं, आशंकाएं, उम्मीदें और हैरत करने वाली बातें समाहित हैं।

कहानी ‘स्टूल’ में एक दबंग कही जा सकने वाली महिला का जीवन की सांझ के समय असहाय-सा हो जाना जहां भावुक करता है, वहीं ‘मेहरबान भूत’ कहानी में लेखिका ने अंधविश्वास को दरकिनार करते हुए इस ‘डर’ का फायदा उठाने का तरीका समझाया है।

Advertisement

शीर्षक कहानी ‘सपनों के ढाई घर’ में आधुनिक तकनीक और उसके किंतु-परंतु, साथ ही एक मानवीय सोच को अभिव्यक्त किया गया है। ‘रिंगटोन’ कहानी समाज के बीच ऊंच-नीच की खाई को पाटने केंद्रित लगती है। साथ ही, हाईटेक होते समाज—या यह कहें कि तकनीक से जुड़े समाज, ने एक-दूसरे को किस तरह से समानता की पटरी पर ला खड़ा किया है, इसको भी बताने की कोशिश की गई है।

एक कहानी में जगह-जगह शे’र और शायरी से लेखन का नया अंदाज़ सामने आना है। कहानियों के किरदार और उनके संवाद अनेक जगह कथानक की मांग के अनुसार बदले हैं। अनेक संवादों में देसी अंदाज़ का पुट आकर्षक है। कहा जाता है कि किसी कहानी के वही किरदार आपको आकर्षित करते हैं जो आपके समाज, आपके परिवेश के इर्द-गिर्द घूमते हों।

पुस्तक : सपनों के ढाई घर लेखिका : रश्मि शर्मा प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज पृष्ठ : 167 मूल्य : रु. 299.

Advertisement