मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

मंज़र

कविता
चित्रांकन : संदीप जोशी
Advertisement

रश्मि ‘कबीरन’

कैसा ख़ूनी मंज़र है,

Advertisement

हरेक आंख इक खंजर है!

खौल रहा हर इक इंसा,

जाने क्या कुछ अंदर है!

हर चेहरा जैसे सहरा,

रूह तक फैला बंजर है!

सुकूं जो दिल को पहुंचाए,

मस्जिद है ना मंदिर है!

जाने दरिया का क्या हो,

प्यासा आज समंदर है!

जीत के ये सारी दुनिया,

ख़ाली हाथ सिकंदर है!

Advertisement
Show comments