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ग्रामीण चेतना और जीवन के रंग

पुस्तक समीक्षा

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पुस्तक ‘फिजा के समंदर में’ में विविध आयामों को प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है। रामस्वरूप किसान ने इस संग्रह में अपने आसपास की घटनाओं और परिवेश को कविताओं के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है। संग्रह में ग्रामीण जीवन की सहजता और कठिनाइयों को बड़ी ही सरल और आत्मीय भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जो पाठक के हृदय को छू जाती है।

संग्रह की सभी कविताएं एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। इनमें चित्रात्मक शैली का सुंदर प्रयोग देखने को मिलता है, जिससे पाठक पढ़ते-पढ़ते स्वयं को उसी परिवेश का हिस्सा महसूस करने लगता है। कविताओं में तुकबंदी के बजाय भावनाओं की अभिव्यक्ति को प्राथमिकता दी गई है, जो उन्हें अधिक स्वाभाविक और प्रभावशाली बनाती है।

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पुस्तक में शामिल छोटी-छोटी कविताएं इसे रोचक बनाती हैं। इनमें डर, खुशी, ग़म जैसे विविध भावों को सुंदरता से पिरोया गया है। साथ ही, घटनाओं का प्रयोग भी बड़ी सूझबूझ के साथ किया गया है। विशेष रूप से कविता ‘पीठ’ उल्लेखनीय है। इसमें कवि ने पीड़ा, संघर्ष और संवेदना के अनुभवों को अत्यंत सरलता और प्रभावशीलता से प्रस्तुत किया है। यह सबसे लंबी कविता है, किंतु इसकी तारतम्यता और सहज भाषा इसे कहीं भी बोझिल नहीं होने देती।

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पुस्तक में प्रेम, विद्रोह और सामाजिक बंधनों की भी चर्चा है। कई कविताएं राजनीतिक चेतना को उजागर करती हैं। कवि ने चुनाव और जनता की स्थिति पर तीखे व्यंग्य किए हैं।

पुस्तक : फ़िजा के समन्दर में कवि : रामस्वरूप किसान प्रकाशक : राजकमल प्रकाशक, नयी दिल्ली पृष्ठ : 134 मूल्य : रु. 250.

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