शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा
दक्षिण भारत में शास्त्रीय नृत्य की संस्कृति का जन्म हुआ। खासकर तमिलनाडु में भरतनाट्यम, केरल में कथकली और मोहिनीआट्टम नृत्य, आंध्र प्रदेश में कुचिपुड़ी नृत्य, ओडिशा में ओडिसी नृत्य, मणिपुर में मणिपुरी नृत्य, असम में सत्तिया नृत्य की परंपरा समृद्ध हुई। उत्तर प्रदेश में कत्थक नृत्य परंपरा परवान चढ़ी। लेखक डॉ. संदीप शर्मा ने समीक्ष्य पुस्तक में इन नृत्यों के भाव-दर्शन को अभिव्यक्त किया है। पुस्तक पाठकों के शास्त्रीय नृत्य के ज्ञान में वृद्धि करेगी।
पुस्तक : भारतीय शास्त्रीय नृत्य रचनाकार : डॉ. संदीप कुमार शर्मा प्रकाशक : डायमंड बुक्स, नयी दिल्ली पृष्ठ : 186 मूल्य : रु. 250.
स्याह दौर का श्वेत सृजन
डॉ. गगनदीप कौर ने दो पुस्तकें ‘हिस्ट्री ऑफ इंडियन स्कल्पचर’ और ‘मॉर्डन मूवमेंट्स इन आर्ट’ लिखी हैं। वे एक अच्छी चित्रकार के साथ-साथ लेखक भी हैं। साल 2020 में, जब दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त थी, तो उन्होंने समाज के तनाव, चिंता, उदासी, भय और अकेलेपन के भावों को अपने चित्रों में उकेरा। सकारात्मक दृष्टिकोण से, उन्होंने दुखी लोगों का आत्मबल बढ़ाने का प्रयास किया। रचनाकार ने काव्य पंक्तियों के शीर्षक से चित्रों की अभिव्यक्ति को द्विगुणित किया है।
पुस्तक : ज़िक्र-ए-हालात-2020 रचनाकार : डॉ. गगनदीप कौर प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशंस, चंडीगढ़ पृष्ठ : 90 मूल्य : रु. 280.
प्रेरणादायक बाल कहानियां
डॉ. दर्शन सिंह ‘आशट’ जाने-माने बाल साहित्यकार हैं। उनकी रचनाएं बाल पाठकों को प्रेरित करती हैं। समीक्ष्य कृति ‘किताबों में पंख’ में पांच कहानियां सुंदर चित्रांकन के साथ प्रकाशित हुई हैं। शीर्षक कहानी के अलावा ‘मन की सफाई’, ‘ऐसा क्यों’, ‘अनोखी संतान’ और ‘सपने का सबक’ बाल मन को सकारात्मक सोच देने वाली हैं। शीर्षक कहानी ‘किताबों में पंख’उस नादान बच्चे का भ्रम दूर करती है, जो सोचता है कि मोर पंख रखने से ज्ञान मिल जाता है।
पुस्तक : किताबों में पंख रचनाकार : डॉ. दर्शन सिंह ‘आशट’ प्रकाशक : नवरंग पब्लिकेशन्स, समाना, पंजाब पृष्ठ : 20 मूल्य : रु. 100.
समीक्षा के जरिये सृजन चर्चा
मनोज कुमार ‘प्रीत’ और रमा शर्मा द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं की समीक्षाओं के संकलन ‘समीक्षा के पल’ रचनाकारों के सृजन की चर्चा करती है। पुस्तक में सोलह काव्य संग्रहों, दस कथा-संग्रहों, एक लघु कथा संग्रह, डॉ. नीरोत्तमा मौदगिल के उपन्यास ‘विदुला’, यशपाल शर्मा के ‘एक है मलाला’, डॉ. अजय शर्मा के ‘दलित पंडित’ और डॉ. प्रितपाल कौर चाहल के नाटक ‘जन्मदाता’ तथा एक जीवनी की समीक्षा संकलित है।
पुस्तक : समीक्षा के पल रचनाकार : मनोज कुमार प्रीत व रमा शर्मा प्रकाशक : अमृत बुक्स, प्रीत साहित्य सदन, लुधियाना पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 150.
लघुकविता में बड़ी बात
कवयित्री कुसुम यादव ने कविता संग्रह ‘क्या लिखूं क्या रहने दूं’ और लघुकविता संग्रह ‘शून्यता से दिव्यता’ के प्रकाशन के बाद अपना नया कविता संग्रह ‘आयेंगे लौटकर बादल’ पाठकों के हाथों में पहुंचाया है। संकलन में 111 लघुकविताएं संकलित हैं। तमाम रचनाएं प्रकृति से संवाद करती प्रतीत होती हैं। शीर्षक रचना ‘आयेंगे लौटकर बादल’ की तरह कई रचनाएं बादलों पर केंद्रित हैं। रचनाएं कथ्य और शिल्प की दृष्टि से समृद्ध हैं। कथोपकथन शैली का भी प्रयोग हुआ है।
पुस्तक : आयेंगे लौटकर बादल रचनाकार : कुसुम यादव प्रकाशक : आनन्द कला मंच, भिवानी पृष्ठ : 128 मूल्य : रु. 150.
