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सनातन संस्कृति की प्रासंगिकता

पुस्तक समीक्षा

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सनातन धर्म की मूल धारणा के अनुसार जीवात्मा का शाश्वत और स्वाभाविक झुकाव सेवा, दया, पवित्रता, धैर्य, इंद्रियों पर नियंत्रण, दान एवं संयमित जीवन की ओर ही है। पुस्तक ‘सनातन संस्कृति की धरोहर’ में लेखक ने विदेशी संस्कृति के प्रभाव व चकाचौंध से प्रेरित वर्तमान पीढ़ी की अपने पूर्वजों द्वारा बताई सनातन संस्कृति की पद्धतियों व वेद, पुराण, महाकाव्य व धरोहरों को भूलने की प्रवृत्ति का उल्लेख किया है। नयी पीढ़ी इलेक्ट्रॉनिक साधनों व सोशल मीडिया के मुताबिक जीवन में आगे बढ़ना चाहती है और अपनी सनातनी सांस्कृतिक परंपराओं से कटती जा रही है। वह सनातन संस्कृति को रूढ़िवादी व व्यर्थ परंपराएं समझती है; उनमें से बहुत कम जानते होंगे कि हमारी संस्कृति में 16 संस्कार कौन–कौन से हैं, पूजा, तिलक व मंदिर जाना क्यों जरूरी है वहीं गौ, गंगा, तुलसी, पीपल की पूजा क्यों की जानी चाहिए। आज के भागदौड़ भरे जीवन में सनातन संस्कृति में सम्मिलित— चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, चार ऋण, पुनर्जन्म, सनातन धर्म में ईश्वर अवतार, जीवन–मृत्यु तथा संस्कृति की बुनियाद क्या है?

लेखक ने विशेषकर नयी पीढ़ी हेतु रचित पुस्तक को पांच खंडों में विभक्त करते हुए बहुदेव–पूजा, मूर्तिपूजा, धर्म–विज्ञान आदि पर प्रकाश डाला है। तृतीय खंड में हिन्दू सनातन धर्म से संबंधित रीति–रिवाज, परंपराएं एवं जीवनशैली, पंचांग, मुहूर्त, विवाह–संस्कार, हवन आदि का वर्णन है। पुस्तक के चतुर्थ खंड में वेद, उपनिषद, मनुस्मृति पर भी विस्तार से विवरण दिया है। ‘मनुस्मृति’ में मौजूद सृष्टि सिद्धांत, वर्ण–व्यवस्था, आश्रम–व्यवस्था, विवाह, परिवार की अवधारणाओं व नियमों का विवेचन है। पुस्तक में सप्तऋषि, तप–जप, त्रिदेव, ज्ञान–विज्ञान, समुद्र–मंथन में प्राप्त 14 रत्नों की अमरत्व हेतु खोज, देव–असुर युद्ध व विष्णु के अवतारों का भी उल्लेख है।

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पुस्तक के अंतिम भाग में सनातन धर्म में प्रमुख सिद्धांतों, धर्म–कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष, अहिंसा, ‘वसुधैव कुटुम्बकम‌्’ का अभिप्राय, विद्यार्थी–जीवन व ब्रह्मचर्य, नवग्रह, पशु–पक्षी, व्रत–उपवास, हिन्दू माह इत्यादि—पर विस्तृत जानकारियां दी गई हैं।

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लेखक ने सनातनी पद्धति, धर्म–कर्म के साथ–साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सामाजिक ताने-बाने, बुजुर्गों के मान–सम्मान व कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला है।

पुस्तक : सनातन संस्कृति की धरोहर लेखक : गोपाल शर्मा प्रकाशक ः डायमंड पॉकेट बुक्स प्रा. लि. नयी दिल्ली पृष्ठ : 283 मूल्य : रु. 283.

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