‘मन निर्झर’ डॉ. विनोद कुमार द्वारा रचित एक जनसरोकारों को समर्पित काव्य–संग्रह है। इस काव्य–संग्रह की कविताएं न केवल काव्यात्मक सौंदर्य की परिचायक हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत करती हैं। पुस्तक में कुल 57 कविताएं संकलित हैं, जो मानव–मन की भावधारा को निर्झर की तरह निर्बाध रूप से बहते हुए प्रकट करती है।
‘मन निर्झर’ की कविताएं विविध जीवन–स्थितियों और अनुभवों से प्रेरित हैं। इनमें संघर्ष, सहानुभूति, संस्कृति, राष्ट्रभक्ति, मानवता, शिक्षा, पर्यावरण, तकनीकी यथार्थ, संवेदनशीलता तथा आत्मचिंतन जैसे भावों को काफी गहनता से उकेरा है। कविताओं में केवल विचार नहीं, बल्कि अनुभव की आंच है।
‘बाधाएं’, ‘दुख किसी का’, ‘दुख से उभर’, ‘अकेले चला चल’, ‘मनोरथ सिद्ध’ जैसी कविताएं जीवन–संघर्ष और आत्मबल की प्रेरणा देती हैं। वहीं ‘संस्कृति’, ‘मां’, ‘राष्ट्रप्रेमी’, ‘ज्ञान का प्रचार’ जैसी रचनाएं भारतीय जीवन और सांस्कृतिक चेतना को प्रकट करती हैं।
‘दहशतगर्द’ कविता आतंकवाद की चुनौती पर लिखी गई है। इसमें बताया गया है कि आतंकवादी मानवीय मूल्यों का सम्मान नहीं करते, अपनी और निर्दोष लोगों की ज़िंदगी को बर्बाद करते हैं।
‘अकेले चला चल’ कविता सकारात्मक जीवन–दर्शन और संघर्ष पर आधारित है। कविता में सूरज, अंधकार, तूफान, कांटे आदि प्रतीकों का प्रयोग है, जो संघर्ष और प्रकाश–पथ का संकेत देते हैं। आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती—मोबाइल और इंटरनेट की लत—पर ‘मोबाइल पर नियंत्रण’ कविता केंद्रित आधारित है। इंटरनेट और सोशल मीडिया लोगों की असल ज़िंदगी को खोखला बना रहा है। रचनाओं की भाषा और शैली सरल, प्रवाहमयी और स्पष्ट हैं। अधिकांश कविताएं तुकांत और लयबद्ध शैली में रची गई हैं, जिससे वे सहज रूप से पाठकों से जुड़ती हैं। काव्य में सहज बिंबों और प्रतीकों का प्रयोग किया गया है, जैसे—‘मन निर्झर’, ‘धारा’, ‘गंध से भरी हवा’, ‘पगडंडियां’ आदि—जो कल्पनाशीलता और यथार्थ के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।
डॉ. विनोद कुमार का यह काव्य–संग्रह एक सजग, सृजनशील और संवेदनशील मन की अभिव्यक्ति है। ‘मन निर्झर’ जीवन के हर मोड़ पर बहती भावधारा को साकार करता है।
पुस्तक : मन निर्झर कवि : डॉ. विनोद कुमार प्रकाशक : वर्ड्ससविग्गल पब्लिकेशन, पटना पृष्ठ : 126 मूल्य : रु. 200.

