मनमोहन गुप्ता मोनी
डॉ. विनोद कुमार शर्मा का हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रह ‘बढ़ते कदम’ नई उमंग और उत्साह को प्रस्तुत करता है। इसमें 72 कविताएं सम्मिलित हैं। सभी रचनाएं छंदमुक्त हैं लेकिन उनमें तारतम्य बराबर बना हुआ है। इनकी रचनाओं में सकारात्मक दृष्टिकोण नजर आता है। हर वर्ग को संबोधित करती ये रचनाएं व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा तो देती ही हैं, समाज की दशा और दिशा की बात भी करती हैं। एक कविता की बानगी देखिए…
भले डगर मुश्किल है,
जीवन में सब मुमकिन है।
आज चढ़ाव है कल उतार है,
भले मोड़ पर खतरा है।
पैर फूंक रखता है, आज कुछ नहीं।
कल सब कुछ है, एक से हालात नहीं।
पत्रकारिता और शिक्षा से जुड़े डॉ. विनोद कुमार शर्मा की रचनाओं में युवाओं को प्रेरणा की बात अधिक नजर आती है, जब वो कहते हैं…
मेहनत से न कभी पीछे हटना,
ऊपर की कमाई को न तकना।
जो मिलता है कर उससे सब्र ,
दूसरों से हड़पकर न खोद कब्र।
इसी प्रकार वह कहते हैं…
जग में जीना अगर सिर उठाकर,
बढ़ आगे बुराइयां त्याग कर
चित्र भले न रहे अच्छा
व्यवहार रहे हमेशा सच्चा।
दूरगामी सोच और भाषा की सहजता डॉक्टर विनोद की कविताओं की विशेषता है। उन्होंने जिंदगी के यथार्थ को अपनी रचनाओं में पिरोया है।
पुस्तक : बढ़ते कदम लेखक : डॉ. विनोद कुमार शर्मा प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 172 मूल्य : रु. 240.