Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

जीवन के विविध रंगों की काव्य-कोरक

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

केवल तिवारी

रोजमर्रा की जीवनशैली के विविध पहलुओं से हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। बस नजरें, सोच और भावुकता जरूरी है। इसी भावुकता के साथ अगर विचारों को आपने कलमबद्ध कर दिया तो फिर बात ही कुछ और है। ऐसा ही कुछ किया है शिक्षक संदीप भारद्वाज ‘शांत’ ने। उनकी पहली पुस्तक काव्य-कोरक में कुल 85 कविताएं हैं।

Advertisement

पुस्तक की कविताओं में माता-पिता हैं, बेटियां हैं, शिक्षा का महत्व है, देश प्रेम है और कर्तव्य की सार्थकता है। नए दौर की इन कविताओं में कहीं संदेश हैं तो कहीं उपदेश। कुछ बानगी देखिए, कविता ‘शैतान’ में कवि का सवाल है, ‘संसार में चला कैसा यह रुझान डॉक्टर ही बना क्यों शैतान।’ लेकिन इसी का दूसरा पहलू भी कवि ‘शांत’ ने ‘डॉक्टर’ कविता में उजागर किया है। वह लिखते हैं, ‘डॉक्टर रूप ऐसा बनाया, दूजा नाम भगवान का पाया।’ हरियाणावासी संदीप भारद्वाज शांत ने ‘जिलों की सैर’ नामक कविता में दो-दो पंक्तियों में पूरे हरियाणा की खूबी बता दी। हर जिले को लेकर दो पंक्तियां। सच में यहां उन्होंने गागर में सागर भर दिया। ऐसा ही कुछ उन्होंने कविता ‘प्यारा सप्ताह’ में किया है। सप्ताह के दिनों की कविता के माध्यम से खूबियां बताईं। ऐसा ही किया है नवरात्र के नवदुर्गा के संबंधों में। कविता सोच में उनके लेखन का नया अंदाज झलकता है। वह लिखते हैं, ‘मेघों का घुमड़-घुमड़ आना, घुमड़-घुमड़ कर बरस जाना... कोई भीगे तो सही।’

कविता कहीं-कहीं में कवि का शायराना अंदाज झलकता है। देखें बानगी, ‘कागज की कश्तियां, वो खुशियों का पैगाम। नफरती बूंदों से डूब रही कहीं-कहीं।’ अपनी पहली कृति लेकर आए संदीप भारद्वाज शांत का यह प्रयास सराहनीय है। उम्मीद करते हैं कि वह अपनी रचनाधर्मिता को बरकरार रखेंगे उसमें और धार लाते रहेंगे।

पुस्तक : काव्य-कोरक लेखक : संदीप भारद्वाज 'शांत' प्रकाशक : निर्मला प्रकाशन, चरखी दादरी, हरियाणा पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 200.

Advertisement
×