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समय की रेत पर छाप छोड़ती कविताएं

पुस्तक समीक्षा

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साहित्य संवेदनाओं का वह समंदर है, जिसके मंथन से ऐसे अनमोल मोती बाहर आते हैं, जो कि मानव मन और हृदय को आलोकित कर देते हैं। ‘पथरीले पथ पर’ ऐसी ही अनुभूति से सराबोर काव्य संग्रह है, जिसमें जीवन के प्रत्येक पल और अहसास को रेखांकित करने वाली कविताओं को उकेरा गया है। कवि सुरेश कुमार कल्याण इन कविताओं को रचते हुए कहीं समाज सुधारक के रूप में दिखते हैं, तो कहीं एक अल्हड़ शायर के रूप में। कहीं फूलों का रस पीता भंवरा नजर आता है तो कहीं आसमान में पंख फैलाए उन्मुक्त पक्षी। वे कहीं राजनीति का कड़वा सच उघाड़ते प्रतीत होते हैं तो कहीं पर कर्तव्य पथ का सच सामने लाते।

इन कविताओं में कहीं नशा मुक्ति का आह्वान है तो कहीं विश्व बंधुत्व की भावना का विस्तार। कविता ‘एक बाप की सब संतान’ में कवि चेताते हुए कहते हैं— भगवान नहीं मानव तो बन ले/सच्चा ज्ञान तू उज्ज्वल कर ले। कविता ‘बेखटक परदा’ जीवन की उस सच्चाई को सामने रखती है, जब इंसान उसकी हैसियत से पहचाना जाता है। गरीब के लिए मायने नहीं रखता/किस्मत का परदा। उसके लिए सबसे कीमती है/अस्मत का परदा। काव्य संग्रह में ‘गुटखा-तंबाकू’ नामक कविता नशे के शौकीनों को सीख देती है। गुटखा-तंबाकू खाने वालो/हर पैकेट के साथ इनाम पाने वालों/जवानी में बुढ़ापा/गुर्दे खराब। कविता ‘पोखर का किनारा’ गांव और देहात के उस दौर की कहानी सुनाती है, जब वे अपनी मौलिकता में जीते थे, लेकिन अब वे भी शहरीकरण के शिकार हो चुके हैं। पुराने पोखर का किनारा/आज वीरान पड़ा है। उस गीली-सूखी रेत में अब नहीं बनते घरौंदे। ‘कर्तव्य पथ से’ दो पंक्तियां देखिए... हमें शूलों पर भी चलना होगा/कर्तव्य पथ पर बढ़ना होगा। इंसान से तू द्वेष न कर/ सच कहता हूं भगवान से डर।

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इन कविताओं में सौंदर्य, संकल्प, आशा-निराशा, देशभक्ति, प्रकृति चित्रण, विरह की पीड़ा, भूख का मंजर, देश और दुनिया, हिंदी भाषा, किसान, कर्फ्यू, बेटियां और तमाम उन विषयों का संग्रह है, जिनसे हम किसी भी तरह अछूते नहीं है। लेखक ने सेना में भी सेवाएं दी हैं और वे अब अध्यापन कर रहे हैं। निश्चित रूप से सैनिक जीवन और अध्यापन दोनों का अनुभव अलग-अलग है, लेकिन समाज के समक्ष आदर्श रूप में प्रस्तुत कर एक सैनिक की कर्तव्यनिष्ठा को सामने लाने की कोशिश काव्य संग्रह में देखी जा सकती है। सरल और सुबोध भावों से ओतप्रोत इन कविताओं को पढ़ना एक गहरे रचनात्मक एवं साहित्यिक अनुभव को आत्मसात करना है।

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पुस्तक : पथरीले पथ पर (काव्य-संग्रह) कवि : सुरेश कुमार कल्याण प्रकाशक : कुरुक्षेत्र प्रेस, कुरुक्षेत्र पृष्ठ : 124 मूल्य : रु. 200.

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