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मिलन और विरह की कविताएं

पुस्तक समीक्षा
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जतिंदर जीत सिंह

सामाजिक सरोकारों, पंजाबी विरासत और इंसानी मनोभावों पर लेखन से अपनी पहचान बना चुके पंजाबी लेखक हरप्रीत सिंह सवैच ने अपने पहले पंजाबी काव्य संग्रह ‘इबादतगाह’ के जरिये साहित्य के क्षेत्र में उड़ान भरी है। प्रेम, मिलन और विरह जैसे खूबसूरत भाव उनकी कविताओं के केंद्र में हैं। वह लिखते हैं : ‘इश्क तां मौज फकीरां वाली, न कि जज़्बाती उछाल है। जिनां इश्क च दावे कीत्ते, रेहा सारी उमर मलाल है।’

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उनकी कविताओं के दायरे में प्रकृति प्रेम भी है। पेड़ों की अहमियत बयां करते हुए उन्होंने लिखा है : ‘ऐह कागज़ ऐह कलम वी बणदे। ऐह पट्टी ते मल्हम वी बणदे।’ वहीं, ‘लाडो रानी’ बेटी के प्रति एक पिता के प्यार का भावुक चित्रण है। पंजाब और पंजाबी भाषा के प्रति प्रेम एवं चिंता जाहिर करते हुए वह कहते हैं : ‘अज आपणयां हत्थों ही बेगानी होई ऐ। जिऊंदे करदी जेहड़ी सी ओह मोई ऐ।’

पुस्तक में लयबद्ध और खुली कविताओं के अलावा पंजाबी लोक रंग समेटे ‘माहिये’ और ‘टप्पे’ भी हैं। पुस्तक की भूमिका में जसवीर सिंह ‘शायर’ भी उनकी कविता की खूबसूरती को इस तरह से व्यक्त किया कि सवैच की कविताएं अपने रहबर के प्यार की इबादत का रूप ले लेती हैं। उनका ‘इश्क’ भी एक साधारण प्रेम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और गहरी अनुभूति का रूप है।

सवैच की कविताओं में पंजाबी भाषा और संस्कृति के प्रति प्रेम के साथ-साथ वर्तमान दौर में पंजाबी समाज की परेशानियों और संघर्षों को भी उजागर किया गया है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में व्याप्त असमानताओं, मानवीय संबंधों, और प्यार की सच्ची परिभाषाओं को प्रस्तुत किया है।

कवि की भाषा सरल और शैली सहज है। उनकी हर पंक्ति में एक अविरल प्रवाह है।

पुस्तक : इबादतगाह लेखक : हरप्रीत सिंह सवैच प्रकाशक : सहज पब्लिकेशन, समाणा पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 200

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